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जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद की जिला जेल एक बार फिर विवादों में घिर गई है। हाल ही में एक महिला द्वारा जेल अधीक्षक और स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए गए कि जेल में उसके पिता के साथ मारपीट की गई, कान का पर्दा फट गया और जमानत दिलाने के नाम पर 22 लाख रुपये की मांग की गई। इन आरोपों से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। वहीं, अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
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पीड़िता की मां ने किया इनकार
पीड़िता की मां ने सामने आकर बेटी के लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उनकी बेटी किसी के बहकावे में आकर यह आरोप लगा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे स्वयं कई बार जेल जाकर मुलाकात कर चुकी हैं और कभी भी जेल प्रशासन से कोई परेशानी नहीं हुई।जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने भी इन आरोपों को बेबुनियाद और मनगढ़ंत बताया। उन्होंने बताया कि जेल में बंद किसी भी बंदी के साथ किसी प्रकार की मारपीट नहीं की जाती, बल्कि सभी के साथ मानवाधिकारों के तहत व्यवहार किया जाता है। बीमार कैदियों को इलाज उपलब्ध कराया जाता है और मुलाकातियों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती।
गंभीर आरोप
महिला द्वारा लगाए गए आरोपों में कहा गया था कि जेल प्रशासन ने नोएडा स्थित उनके प्लॉट को बेचने का दबाव डाला और धमकी दी कि जेल से छूटने पर जान से मार दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया कि अधीक्षक का ड्राइवर बाहर आकर लाखों रुपये लेता है और इसकी वाट्सएप चैट भी उपलब्ध है।हालांकि अब बंदी के परिवार की ही एक सदस्य ने आरोपों का खंडन कर दिया है। बुजुर्ग महिला का कहना है कि उनकी बेटी किसी गलत व्यक्ति के संपर्क में आ गई है और इस मामले का इस्तेमाल कर किसी निजी स्वार्थ की पूर्ति की जा रही है।
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आरोप बुनियाद
जेल अधीक्षक ने कहा कि जेल की छवि को धूमिल करने का यह षड्यंत्र है। "हमारी जिम्मेदारी बंदियों को सुरक्षा और सुविधा देना है, न कि उनकी जमानत कराना," उन्होंने कहा। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर इस मामले की जांच जारी है। यदि आरोप गलत साबित होते हैं तो झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई संभव है। जेल प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि गाजियाबाद जेल में बंदियों के अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाता है और किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की जाती।