Aseem Arun : गाजियाबाद की पुनर्कल्पना: समावेशी विकास की ओर एक नई सोच
किसी भी शहर की परिकल्पना निश्चित रूप से प्रदेश एवं केंद्र सरकार के विजन पर निर्भर है गाजियाबाद एक ऐसा शहर है जिसने ऊंची उड़ान भारी लेकिन कहीं ना कहीं उसे उड़ान में कुछ कमी रह गई अब ऐसा लगता है कि उडान को नहीं परवाज़ मिलने वाली है जिसके अंतर्गत........
किसी भी शहर की परिकल्पना निश्चित रूप से प्रदेश एवं केंद्र सरकार के विजन पर निर्भर है गाजियाबाद एक ऐसा शहर है जिसने ऊंची उड़ान भारी लेकिन कहीं ना कहीं उसे उड़ान में कुछ कमी रह गई अब ऐसा लगता है कि उडान को नहीं परवाज़ मिलने वाली है जिसके अंतर्गत मंत्री असीम अरुण ने गाजियाबाद के संबंध में कुछ ऐसी बातें के हैं जिसके चलते यह कहा जा सकता है कि गाजियाबाद का एक नया प्रारूप स्वरूप और जल्द सामने आने वाला है।
कार्यक्रम
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60 साल पुराना उपनगर
इसे उपनगर के रूप में विकसित हुए 60 साल हो चुके हैं, लेकिन आज इस शहर को व्यवस्थित यातायात, बेहतर कचरा प्रबंधन और मजबूत बुनियादी ढांचे जैसे सुधार की आवश्यकता है. गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री श्री असीम अरुण ने ‘गाजियाबाद की पुनर्कल्पना’ नई अवधारणा के तहत समावेशी विकास की एक व्यापक योजना प्रस्तुत करते हुए ये बातें कहीं.
सुविधाओं के बढ़ने से होगा विकास
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CEPT यूनिवर्सिटी के मार्गदर्शन से प्रेरित इस योजना में सरकारी और निजी दोनों प्रकार की ज़मीनों के पुनर्विकास, रैपिड रेल व मेट्रो केंद्रों के इर्द-गिर्द मिश्रित उपयोग क्षेत्रों के निर्माण और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. ख़ोड़ा कॉलोनी जैसी बस्तियों का पुनर्विकास और छोटे भू-स्वामियों को भूमि पूलिंग के लिए प्रोत्साहन इस बदलाव के केंद्र में हैं।
दिए कई उदाहरण
प्रभारी मंत्री असीम अरुण ने बताया, भेंडी बाजार और वैंकूवर जैसे उदाहरणों से प्रेरणा लेते हुए यह योजना गाज़ियाबाद को उत्तर भारत का एक समावेशी, टिकाऊ और आधुनिक शहरी केंद्र बनाने में कारगर होगी. उन्होंने स्पष्ट किया—यह केवल सुधार नहीं, एक पूरी पुनर्कल्पना की आवश्यकता है.
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