Advertisment

Big question : हिंडन नदी की बदहाली पर सवाल, सारे दावे हवा हवाई

हिंडन नदी को लेकर वर्षों से सफाई और संरक्षण के दावे किए जा रहे हैं, परंतु स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। एक समय पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व रखने वाली यह नदी आज गंदे नाले का रूप ले चुकी है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुनील वैध ने हाल ही में

author-image
Syed Ali Mehndi
फाइल फोटो

फाइल फोटो

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता g

Advertisment

हिंडन नदी को लेकर वर्षों से सफाई और संरक्षण के दावे किए जा रहे हैं, परंतु स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। एक समय पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व रखने वाली यह नदी आज गंदे नाले का रूप ले चुकी है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुनील वैध ने हाल ही में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और डीएम को पत्र लिखकर प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है।

ऐतिहासिक है हरनंदी 

डॉ. वैध ने पत्र में बताया कि 1857 की क्रांति का प्रारंभ हरनंदी (हिंडन) नदी के तट से हुआ था, जो इस नदी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। सहारनपुर से निकलने वाली यह बरसाती नदी नोएडा तक बहती है और यमुना नदी में मिल जाती है। सिंचाई के लिए उपयोगी यह नदी जब गाजियाबाद पहुंचती है, तो उसमें फैली गंदगी, प्लास्टिक, सीवर का पानी और औद्योगिक कचरा इसे नाले में तब्दील कर देता है। प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संस्थाएं हर साल हिंडन को साफ करने के लिए भारी-भरकम बजट खर्च करती हैं। आयोजन होते हैं, तस्वीरें खिंचती हैं, पर जमीन पर स्थिति नहीं बदलती। अस्थायी प्रयास और केवल प्रचार के उद्देश्य से चलाए जा रहे अभियानों का नतीजा यह है कि हिंडन की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

Advertisment

 दिखावा नहीं ठोस कार्य जरूरी

समाजसेवियों की मांग है कि हिंडन नदी को केवल सफाई कार्यक्रमों के नाम पर इस्तेमाल करने के बजाय एक ठोस, सतत और दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। सीवर के प्रवाह को रोकने, औद्योगिक कचरे की निगरानी करने और तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है। हिंडन का संरक्षण न केवल गाजियाबाद की जल समस्या का समाधान करेगा बल्कि पर्यावरण और विरासत के संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होगा।

Advertisment

Advertisment
Advertisment