गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। भाजपा के एक कार्यक्रम को लेकर गाजियाबाद की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। सांसद अतुल गर्ग का फोटो पार्टी के होर्डिंग्स से नदारद रहने पर समर्थकों में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है। इस मुद्दे ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया है और पार्टी के अंदर ही सवालों की बौछार शुरू हो गई है।
पार्टी की ओर से पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पंचायत प्रतिनिधि सम्मेलन के होर्डिंग्स से गाजियाबाद के सांसद और क्षेत्रीय अध्यक्ष का फोटो नदारद था। इससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में रोष फैल गया।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
मुरादनगर मंडल अध्यक्ष राहुल गोयल ने इस उपेक्षा पर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि उनके मंडल में कार्यक्रम होने के बावजूद उनका फोटो होर्डिंग्स पर नहीं लगाया गया। उन्होंने संगठन पर जानबूझकर उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
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उनकी पोस्ट पर कई अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने समर्थन जताया। एक फेसबुक यूजर दिनेश कुमार प्रधान ने लिखा, “अध्यक्ष जी किससे शिकायत करोगे, एचएलएम के प्रोग्राम में कोई भी मंडल अध्यक्ष स्टेज पर नहीं था, जबकि प्रोटोकॉल कहता है कि मंडल में कार्यक्रम हो तो वहां का अध्यक्ष स्टेज पर होना चाहिए।”
सांसद की अनदेखी पर उठा सवाल
सांसद अतुल गर्ग के स्वागत के लिए बने एक व्हाट्सएप ग्रुप में भी इस मुद्दे को लेकर दिनभर बहस होती रही। समर्थकों ने सवाल उठाया कि जब सांसद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियों का हिस्सा हैं, तो गाजियाबाद में ही उन्हें क्यों दरकिनार किया जा रहा है?
नगर निगम के कार्यक्रम में दिखा 'फुल फोटो प्रोटोकॉल'
गुरुवार को नगर निगम के एक अन्य कार्यक्रम में सभी विधायकों, मेयर, सांसद और संगठन के प्रमुख चेहरों के फोटो होर्डिंग्स पर लगे दिखे। इससे असंतुष्ट भाजपाइयों का गुस्सा और बढ़ गया। अब सवाल उठ रहे हैं कि जब जिला पंचायत के कार्यक्रम में प्रदेश से फॉर्मेट आने की बात कही गई थी, तो नगर निगम के लिए यह फॉर्मेट कहां से आया?
दूसरे जनपदों में क्यों दिखा सम्मान?
भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यूपी के अन्य जनपदों में भी ऐसे ही कार्यक्रम हुए, लेकिन वहां सांसदों को सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया। ऐसे में सिर्फ गाजियाबाद में ही इस तरह का ‘फॉर्मेट’ लागू होना सवाल खड़ा करता है।
संगठन पर भीतरघात के आरोप
कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी अब संगठन के भीतर की गुटबाजी की ओर इशारा कर रही है। कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि जानबूझकर कुछ नेताओं को कार्यक्रमों से दूर रखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लगातार हो रही आलोचना ने पार्टी नेतृत्व के लिए स्थिति असहज बना दी है।
निष्कर्ष
गाजियाबाद भाजपा की आंतरिक राजनीति एक बार फिर सार्वजनिक मंचों पर आ गई है। कार्यक्रम आयोजकों की सफाई के बावजूद सांसद और मंडल अध्यक्ष की अनदेखी ने कार्यकर्ताओं को भड़काया है। संगठन को अब इस मुद्दे पर जल्द स्पष्टता लानी होगी, वरना यह विवाद आगे चलकर और बड़ा रूप ले सकता है।