गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। भाजपा सरकार में योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर की गूंज चारों ओर सुनाई देती है। कभी कांवड़ यात्रा में बुलडोजर का स्वागत होता है, तो कभी शादियों में उसकी मौजूदगी देखी जाती है। "बाबा का बुलडोजर" नाम से मशहूर यह मशीन अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए जानी जाती है। लेकिन बुलडोजर की यह ताकत क्या सिर्फ गरीबों और अवैध कॉलोनियों तक सीमित है?
गाजियाबाद के पटेल नगर की मेन रोड पर भाजपा नेताओं के मकानों के सामने की ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जा कर जाल लगाए गए हैं। यह कब्जा न सिर्फ ग्रीन बेल्ट पर है, बल्कि नाले को पाटकर भी अतिक्रमण किया गया है। भाजपा के महानगर कार्यकारिणी सदस्य प्रशांत महाना का घर इस अवैध निर्माण का केंद्र बिंदु है। महाना के आवास के सामने बड़े-बड़े बोर्ड भी लगाए गए हैं, जो विधायक और मेयर के घरों पर भी दिखाई नहीं देते।
नगर निगम की कार्रवाई पर सवाल
हाल ही में नगर निगम की ओर से अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया गया है, जिससे हड़कंप मच गया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि नोटिस मिलने के बाद भी अभी तक न तो अवैध जाल हटाए गए हैं और न ही ग्रीन बेल्ट को खाली किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नेताजी का प्रभाव इतना है कि निगम अधिकारी भी बुलडोजर कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं।
क्या होगा बुलडोजर का फैसला?
गाजियाबाद की मेयर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि "किसी भी कीमत पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं होगा।" उन्होंने कई स्थानों पर बुलडोजर चलवाकर अवैध निर्माणों को गिरवाया भी है। अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा नेता के अवैध कब्जे पर भी वही बुलडोजर चलेगा, जिसने अब तक गरीबों की झुग्गियों और अवैध कॉलोनियों को निशाना बनाया है?
पटेल नगर का यह मामला प्रशासन की निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़ा करता है। अब देखना यह है कि योगी सरकार के बुलडोजर की धार भाजपा नेताओं के अवैध कब्जों पर भी चलेगी या फिर यह मामला "अपनों पर करम, गैरों पर सितम" की कहावत को और मजबूत करेगा?