गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता वीरेन्द्र सारस्वत पर सनातन धर्म मंदिर, राजनगर सेक्टर-5 पर अवैध कब्जे और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह आरोप अखिल भारतीय बालाजी सेवा धाम गाजियाबाद के संस्थापक आचार्य अमित आर्यन और हाईकोर्ट के अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में लगाए हैं।
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह मंदिर लगभग 50 वर्ष पुराना है, और पिछले दस वर्षों से भाजपा नेता वीरेन्द्र सारस्वत ने कथित रूप से दबंगई के बल पर इस पर कब्जा जमाया हुआ है। उनका कहना है कि मंदिर के हालात जर्जर हो चुके हैं और किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है। शिकायत में कहा गया है कि श्री सारस्वत ने अध्यक्ष बनने के बाद न तो कोई बैठक बुलाई और न ही दस वर्षों में कोई चुनाव कराया गया है। साथ ही मंदिर की बैलेंस शीट या आय-व्यय का कोई ब्यौरा भी कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
शिकायतकर्ताओं का यह भी आरोप है कि भाजपा की आड़ में श्री सारस्वत जल निगम के कर्मचारियों को ब्लैकमेल करते रहे हैं और इसी कारण उन्हें उत्तर प्रदेश जल निगम कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष पद से निष्कासित भी किया गया था।
वीरेन्द्र सारस्वत का पलटवार- यह मेरी छवि को धूमिल करने की साजिश
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता वीरेन्द्र सारस्वत ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग मिलकर मेरी छवि खराब करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। मैं सनातन धर्म मंदिर का अध्यक्ष हूँ और मेरे साथ 11 सदस्यीय कार्यकारिणी भी है।”
वीरेन्द्र सारस्वत ने दावा किया कि वे वर्ष 2015-16 से मंदिर के अध्यक्ष हैं और उनके कार्यकाल में मंदिर के बैंक खाते में ₹80,000 से बढ़कर ₹2,40,000 और एफडीआर में ₹6,50,000 से ₹9,00,000 की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और कोरोना काल के बावजूद मंदिर में सभी प्रमुख त्योहार और महोत्सव नियमित रूप से आयोजित किए जाते रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर का सारा दान मंदिर के दान पात्र से प्राप्त होता है, जिसे समिति के सदस्यों की मौजूदगी में खोला और गिना जाता है। इसके अतिरिक्त मंदिर हाल की बुकिंग से जो भी आय होती है, वही मंदिर का प्रमुख आर्थिक स्रोत है। मूर्तियों पर चढ़ावा और अन्य पूजन सामग्री से प्राप्त राशि केवल पुजारियों की होती है।
2021 में भी लगे थे आरोप, तब भी दिए थे जवाब: सारस्वत
वीरेन्द्र सारस्वत ने आगे कहा कि 2021 में भी उनके ऊपर इसी प्रकार के आरोप लगाए गए थे, जिनका उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेजों और प्रमाणों के साथ जवाब दिया था। जल निगम के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वे 1993 से 2021 तक निर्विरोध अध्यक्ष रहे हैं और कभी कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ।
बेबुनियाद आरोपों पर करूंगा मानहानि का दावा
भाजपा नेता ने कहा कि अगर इस प्रकार से झूठे आरोप लगते रहे तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और आरोप लगाने वालों पर मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा, “मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मैं सत्य के साथ खड़ा हूँ।”
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि कई बार स्थानीय प्रशासन को मंदिर की स्थिति और अवैध कब्जे के संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में अब यह मामला सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया है, जिससे उच्चस्तरीय जांच की उम्मीद जताई जा रही है।
अब क्या होगा?
यह विवाद भाजपा संगठन और प्रशासन दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। यदि मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह आरोप सच्चाई पर आधारित हैं या किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन और भाजपा नेतृत्व इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं।