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Bjp : रामलीला को लेकर भाजपा में महाभारत, दो गुट आमने-सामने

संजय नगर स्थित आदर्श रामलीला कमेटी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। रामलीला मंचन के इस पारंपरिक और सांस्कृतिक आयोजन ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। हाल ही में पार्षद पप्पू नगर को रामलीला कमेटी का अध्यक्ष

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Syed Ali Mehndi
रामलीला में महाभारत

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

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संजय नगर स्थित आदर्श रामलीला कमेटी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। रामलीला मंचन के इस पारंपरिक और सांस्कृतिक आयोजन ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। हाल ही में पार्षद पप्पू नगर को रामलीला कमेटी का अध्यक्ष घोषित किया गया था, लेकिन इसके बाद से ही विवादों की शुरुआत हो गई। विरोधी गुट ने इसका जोरदार विरोध करते हुए पार्टी के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता और महानगर मीडिया प्रभारी प्रदीप चौधरी को नया अध्यक्ष घोषित कर दिया।

दो कद्दावर नेता आमने-सामने 

स्थिति यह हो गई है कि अब भाजपा के दो कद्दावर नेता—एक तरफ क्षेत्रीय पार्षद पप्पू नगर और दूसरी तरफ महानगर मीडिया प्रभारी प्रदीप चौधरी—आमने-सामने खड़े हैं। दोनों अपने-अपने समर्थन में पार्टी कार्यकर्ताओं और रामलीला प्रेमियों का दावा कर रहे हैं। पप्पू नगर गुट का कहना है कि वह वर्षों से क्षेत्र की सेवा करते आए हैं और जनता ने उन पर भरोसा जताया है। वहीं प्रदीप चौधरी गुट का तर्क है कि रामलीला जैसे सांस्कृतिक आयोजन की गरिमा बनाए रखने के लिए अनुभव और नेतृत्व क्षमता की ज़रूरत है, जिसमें चौधरी अधिक उपयुक्त हैं।

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रामलीला में महाभारत

इस विवाद ने भाजपा की अंदरूनी राजनीति को भी उजागर कर दिया है। जिस मंच पर हर साल श्रीराम की लीलाएं दिखाई जाती थीं, वही मंच अब राजनीतिक खींचतान का अखाड़ा बन गया है। पार्टी के अंदर से भी फुसफुसाहट शुरू हो गई है कि यह लड़ाई भाजपा की साख को नुकसान पहुँचा सकती है। स्थानीय कार्यकर्ता असमंजस में हैं कि वे किस गुट का समर्थन करें। वहीं, आम जनता भी आश्चर्यचकित है कि जिस रामलीला का उद्देश्य सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना था, वह अब पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष का प्रतीक बन गई है।

भीतरी गुटबाजी हुई उजागर 

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गौरतलब है कि आदर्श रामलीला कमेटी वर्षों से संजय नगर में भव्य रामलीला आयोजन करती आ रही है और इसकी एक अलग पहचान है। परंतु इस बार समिति की आंतरिक राजनीति ने पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया है। दोनों पक्ष अब भी किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके हैं, और विवाद सुलझने के बजाय और अधिक गहराता जा रहा है। स्थिति को देखते हुए भाजपा नेतृत्व पर यह दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह हस्तक्षेप करे और दोनों गुटों को एक मंच पर लाकर समाधान निकालें। वरना, इस बार रामलीला की बजाय राजनीतिक महाभारत ही जनता को देखने को मिलेगी। फिलहाल, गाजियाबाद की जनता राम की लीला से पहले भाजपा की लीला देख रही है।

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