गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महिला मोर्चा की महानगर इकाई में पिछले दो वर्षों से नेतृत्व का संकट गहराता जा रहा है। पार्टी के अंदरूनी विवाद और गुटबाज़ी के चलते स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि आखिर महिला मोर्चा की कमान किसके हाथ में है।
दो साल पहले, नगर निगम चुनाव के दौरान भाजपा महिला मोर्चा की महानगर अध्यक्ष पूनम कौशिक ने टिकट वितरण को लेकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पूनम ने अपने कुछ समर्थकों के साथ दिल्ली भाजपा मुख्यालय जाकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद न तो उन्हें और न ही उनके समर्थकों को नगर निगम चुनाव में टिकट मिला। इस घटना के बाद से पूनम कौशिक पार्टी के बड़े कार्यक्रमों और बैठकों से दूर रहीं।
पार्टी ने उन्हें पद से हटाया तो नहीं, लेकिन उनकी जिम्मेदारियों को अन्य महिला नेताओं में बांट दिया। रनिता सिंह रघुवंशी और उदिता त्यागी को महिला मोर्चा के प्रमुख चेहरों के रूप में देखा जाने लगा। रनिता सिंह लगातार कार्यक्रमों और बैठकों में महिला मोर्चा का प्रतिनिधित्व करती रहीं, जबकि उदिता त्यागी को महिला मोर्चा की संयोजिका नियुक्त किया गया। इस बीच, पार्टी के कार्यक्रमों में उदिता त्यागी अपनी टीम के साथ सक्रिय रहीं।
पूनम कौशिक की वापसी से बढ़ी हलचल
पिछले दो वर्षों तक पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रहीं पूनम कौशिक, मयंक गोयल के महानगर अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर सक्रिय नज़र आने लगी हैं। हाल ही में आयोजित उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के कार्यक्रम में वंदे मातरम गीत प्रस्तुत करने के लिए उन्हें मंच पर बुलाया गया था। इसके अलावा, शौर्य यात्रा के दौरान भी पूनम प्रमुखता से नज़र आईं और शहर में उनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स भी लगाए गए।
महिला मोर्चा में नेतृत्व को लेकर कंफ्यूजन बरकरार
पूनम कौशिक की वापसी के बाद भाजपा के अंदर एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं कि महिला मोर्चा की वास्तविक अध्यक्ष कौन है? एक तरफ पूनम कौशिक को महानगर अध्यक्ष माना जाता है, वहीं उदिता त्यागी संयोजिका के रूप में सक्रिय हैं और रनिता सिंह हर कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व करती हैं।
भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि संगठन में "कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है।" पार्टी नेतृत्व की ओर से इस मसले पर अब तक कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है, जिससे स्थिति और जटिल हो रही है।
क्या पार्टी नेतृत्व करेगा स्थिति स्पष्ट?
भाजपा महिला मोर्चा की महानगर इकाई में नेतृत्व का यह विवाद पार्टी के अंदरूनी कलह को उजागर कर रहा है। अब देखना यह होगा कि पार्टी नेतृत्व इस मसले को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाता है, या फिर महिला कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति बनी रहेगी।