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BJP NOMINATION: 2 बजे तक का इंतजार, फिर मयंक-चैन सिंह के चेहरे पर होगी बहार-सूत्र

बीजेपी में जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति का ऐलान आज होने जा रहा है। जिलाध्यक्ष पद ओबीसी कोटे के तहत चैन सिंह को मिलने के संकेत मिल रहे हैं, वहीं महानगर अध्यक्ष पद ब्राह्मण कोटे से दो टर्न बाद वैश्य समाज के खाते में मयंक को मिल रहा है।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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इंतजार की घड़ियां खत्म हो रही हैं। दो टर्म के बाद महानगर बीजेपी को नया सेनापति मिलने जा रहा है। मयंक का अरसे का सूखा भी खत्म हो रहा है ये सूत्र बता रहे हैं। जबकि चैन सिंह के दिल को भी करार मिलने वाला है। सूत्रों का दावा है कि प्रदेश अध्यक्ष दोपहर दो बजे ऐलान करेंगे और महानगर की कमान मयंक को और जिले की कमान चैन सिंह को सोंपी जाएगी।

ये हैं मयंक गोयल

गाजियाबाद नगर निगम की पहली महिला महापौर दम्यंति गोयल के साहबजादे हैं मयंक गोयल। मयंक का परिवार आरएसएस विचारधारा से दशकों से जुड़ा रहा है। मयंक के परिवार का संबंध न सिर्फ जिले के सांसद अतुल गर्ग से है, वहीं वे वर्तमान महापौर सुनीता दयाल से भी ताल्लुक रखने वाले परिवार से हैं। लेकिन बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि मयंक की राह में सबसे बड़ी अड़चन उनके पारिवारिक रिश्ते-नाते ही रहे हैं। कहा ये जाता है कि मयंक ने चाहें विधायकी के टिकट के लिए दावेदारी की हो या फिर एमपी-महापौर और संगठन में किसी अन्य पद पर उन्हें अपनों ने ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है। लेकिन इस बार सूत्रों का दावा है कि मयंक को पार्टी मौका देने जा रही है। वर्तमान में मयंक बीजेपी में क्षेत्रीय कमेटी में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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ये थे महानगर अध्यक्ष की दौड़ में

बीजेपी में महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में वैश्य समाज से पवन गोयल, मयंक गोयल, गोपाल अग्रवाल को बड़ा दावेदार बताया जा रहा था। जबकि ओबीसी वर्ग से पप्पू पहलवान, प्रदीप चौधरी और सुनील यादव की दावेदारी चर्चाओं में थी। दलित समाज से सुनील गौतम को दावेदार बताया जा रहा था। लेखराज माहौर भी इस बार पूर्व महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा के बूते महानगर अध्यक्ष पद की दावेदारी में प्रबल नाम कहे जा रहे थे। वहीं ब्राह्मण समाज से तरूण शर्मा समेत और भी कई नाम इस लिस्ट में थे।पंजाबी समाज से गौरव चौपड़ा की दावेदारी की भी जोरदार चर्चाएं चल रही थीं।

उम्र की सीमा कई दावेदारों पर पड़ी भारी

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बीजेपी ने इस बार चुनाव में उम्र का बंधन तय कर दिया था। जहां मंडल अध्यक्षों के लिए 35 से 45 साल की आयु होनी अनिवार्य रखी गई थी, वहीं महानगर और जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों के लिए ये आयुसीमा 45 से 60 रखी गई थी। जाहिर है कि इससे मंडल अध्यक्ष बनने और महानगर-जिलाध्यक्ष बनने की उम्मीद रखने वालों के अरमानों पर पानी फिरना तय है। इसी के मद्देनजर मयंक और चैन सिंह की लाटरी इस बार खुलती दिखाई दे रही है।

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