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Caution: बढ़ती गर्मी और प्रदूषण सांस की समस्या न ले ले जान

हालांकि गर्मी अभी शुरू हुई है लेकिन गर्मी से होने वाली समस्याओं का सामना उन मरीजों को करना पड़ रहा है जिन्हें साथ संबंधी समस्या है। प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ और गर्मी के कारण शहर में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अस्पताल में पहले की अपेक्षा 30 फीसदी

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Syed Ali Mehndi
जिला अस्पताल ओपीडी

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

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हालांकि गर्मी अभी शुरू हुई है लेकिन गर्मी से होने वाली समस्याओं का सामना उन मरीजों को करना पड़ रहा है जिन्हें साथ संबंधी समस्या है। प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ और गर्मी के कारण शहर में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अस्पताल में पहले की अपेक्षा 30 फीसदी मरीज ज्यादा आ रहे हैं। इससे मरीजों में ब्रोंकाइटिस, दमा, एलर्जी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें आम हो गई हैं। एमएमजी अस्पताल में रोजाना 80 से 90, संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल में 40 से 50 मरीज आ रहे हैं।

प्रदूषण गर्मी की मार 

मौसम के साथ परिर्वतन और बढ़ते प्रदूषण से सांस के मरीजों को परेशानी हो रही है। शुक्रवार को शहर का एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में रहा। रविवार को शहर का एक्यूआई 206 दर्ज किया गया। संजय नगर के जिला संयुक्त अस्तपाल के चेस्ट फिजिशियन राहुल वर्मा ने बताया कि वह सुबह आठ से दो बजे तक ओपीडी में रहते हैं। इसमें मौसम में बदलाव, तेज हवा से फूलों के पराग कण उड़ने, प्रदूषण के कारण दमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीजों में अधिकतर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग शामिल हैं। इनमें से कई मरीजों को तुरंत राहत देने के लिए नेबुलाइजर का सहारा लेना पड़ रहा है। इसका कारण दिन में तेज गर्मी और रात में पंखा या एसी चलाने से तापमान में कमी के कारण भी परेशानी हो रही है।

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धूल गंदगी तेज हवा समस्या

एमएमजी अस्पताल में दो फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा और डॉ. आलोक रंजन मरीजों का इलाज करते हैं। दोनों की ओपीडी 2000 से अधिक रहती है। इसमें रोजाना 80 से 90 मरीज सांस के आते हैं। मरीजों को नियमित इलाज और दवा देकर भेजा जाता है। इसके साथ मरीजों को मास्क लगाने, हवा में बाहर कम निकलने, धूल या गंदगी वाले स्थानों पर न जाने, साफ-सफाई रखने की सलाह दी जा रही है।

सुबह शाम रहे सावधान

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सुबह और रात के समय ठंडी हवा में बाहर जाने से बचें। अगर निकलना जरूरी हो तो मास्क पहनकर ही जाएं। प्रदूषण और धूल के संपर्क में आने से सांस की दिक्कत बढ़ सकती है। घर से बाहर जाते समय मास्क पहनना फायदेमंद हो सकता है। घर में नमी और धूल-मिट्टी जमा न होने दें। धूल से बचाव के लिए पर्दे और चादरों को धोएं। अप्रैल और मई में तापमान के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ जाता है। गर्म हवा के साथ उड़ती धूल और धुएं में मौजूद सूक्ष्म कण श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, बच्चों और पहले से अस्थमा या सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों पर पड़ता है

 

 

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