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कांग्रेस नेता हाउस अरेस्ट
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गाजियाबाद आगमन से ठीक पहले कांग्रेस नेताओं को प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ा। जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव अकबर चौधरी को प्रशासन ने हाउस अरेस्ट कर लिया। उनके साथ इस दौरान महानगर कांग्रेस कमेटी गाजियाबाद के अध्यक्ष वीर सिंह जाटव और वार्ड 64 गरिमा गार्डन के वार्ड अध्यक्ष अली शेर सैफी भी मौजूद रहे।
कांग्रेस नेता हाउस अरेस्ट
अकबर चौधरी ने इस कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ जनता की आवाज को मुख्यमंत्री तक पहुँचाना चाहती थी। उनका कहना था कि उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर गाजियाबाद और प्रदेश की जन समस्याओं पर ज्ञापन सौंपना था। लेकिन प्रशासन ने उन्हें घर से बाहर निकलने ही नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार आम जनता की समस्याओं को सुनने से बचती है और विरोध की हर आवाज को दबाने का काम करती है।
चाहते थे सीएम योगी से मिलना
अकबर चौधरी ने आगे कहा कि गाजियाबाद की जनता लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी, महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था और कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति से परेशान है। इन मुद्दों पर चर्चा कर मुख्यमंत्री को अवगत कराना उनका लोकतांत्रिक अधिकार था। उन्होंने कहा, “हम शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सरकार हमें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का अवसर भी नहीं दे रही। जनता की आवाज को कैद करने का काम किया जा रहा है।”महानगर कांग्रेस अध्यक्ष वीर सिंह जाटव और वार्ड अध्यक्ष अली शेर सैफी ने भी प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जनता की समस्याओं को मुख्यमंत्री तक पहुँचाना किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आता। लेकिन विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए प्रशासन का यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरा है।
दोपहर बाद पहुंचेंगे मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाजियाबाद में आयोजित "विकसित भारत - विकसित उत्तर प्रदेश" कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे हैं। इस कार्यक्रम से पहले ही विपक्षी नेताओं को नजरबंद करना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने दिया जाए ताकि वे गाजियाबाद की जनता की वास्तविक समस्याओं को सीधे मुख्यमंत्री के सामने रख सकें। उनका कहना है कि जनता की आवाज को दबाने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर किया जाएगा।
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