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काल्पनिक फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
350 करोड़ रुपये की लागत से गाजियाबाद रेलवे स्टेशन को हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित करने की परियोजना तय समय पर पूरी नहीं हो पाई है। जून 2025 तक इसका काम पूरा होना था, लेकिन अब तक केवल 30 प्रतिशत कार्य ही संपन्न हुआ है।स्टेशन के पुनर्निर्माण का उद्देश्य यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना था। लेकिन धीमी गति, निर्माण सामग्री का बिखराव और अव्यवस्थित व्यवस्था यात्रियों के लिए सिरदर्द बन चुकी है।
मुश्किल मे है यात्री
यात्रियों का कहना है कि स्टेशन परिसर के अंदर-बाहर निर्माण सामग्री बिखरी हुई है, जिससे आवाजाही मुश्किल हो गई है। प्लेटफार्म पर पर्याप्त जगह न होने से धक्का-मुक्की की स्थिति बन जाती है। वहीं धूल और शोरगुल से बीमार और बुजुर्ग यात्रियों को खासी दिक्कत होती है।ऑटो स्टैंड और पार्किंग की व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। यात्रियों को वाहनों के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि परियोजना बड़ी और जटिल है, इसलिए समय लग रहा है। हालांकि यात्रियों को हो रही असुविधा कम करने के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे हैं।
धीमी निर्माण कार्य रफ्तार
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का कहना है कि रेलवे को निर्माण सामग्री व्यवस्थित करनी चाहिए और काम की रफ्तार बढ़ानी चाहिए। यदि यह परियोजना समय पर पूरी नहीं होती, तो गाजियाबाद के यात्रियों को लंबे समय तक परेशानी झेलनी पड़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही निगरानी और संसाधनों का प्रबंधन किया जाए तो काम तेजी से पूरा किया जा सकता है। फिलहाल यात्रियों की उम्मीदें इस पर टिकी हैं कि रेलवे विभाग जल्द ही निर्माण कार्य में तेजी लाएगा और गाजियाबाद को एक आधुनिक रेलवे स्टेशन मिलेगा।