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सरकारी अस्पताल और बाहर की दवा
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
सरकारी आदेश के बावजूद सरकारी अस्पतालों से बाहर की दवाई लिखने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। आरोप है कि महिला अस्पताल, जिला एमएमजी अस्पताल और संयुक्त जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों को प्रतिदिन हजारों रुपए की दवाई लिखी जा रही है और दवाई लिखने वाले चिकित्सक प्रतिमाह सरकारी वेतन से अलग कमीशन का एक वेतन ले रहे हैं।
तीनों अस्पतालों में खेल
जिले में तीन बड़े सरकारी अस्पताल हैं। इनमें सबसे ज्यादा बाहर की दवाई जिला महिला अस्पताल में लिखी जा रही है। अस्पताल की ओपीडी 500 से 600 तक रहती है। मरीजों का आरोप है कि करीब डेढ़ सौ गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से बाहर की दवाई लिखी जा रही है। इनकी कीमत 500 से 1000 रुपए तक बैठती है। दूसरी ओर बताया जा रहा है कि डॉक्टर को कमीशन के रूप में प्राइवेट लिमिटेड दवा कंपनियां 40 प्रतिशत कमीशन देती हैं।
30% बाहर की दवाई
आरोप है कि ऐसे में चिकित्सकों को हर महीने लाखों रुपए कमीशन के रूप में मिल रहे हैं। यही हाल जिला एमएमजी अस्पताल और संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल का भी है। एमएमजी में प्रतिदिन 1800 और संयुक्त अस्पताल में 800 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। जानकारों का कहना है कि इनमें से 30 फीसदी मरीजों को बाहर की दवाएं लिखी जा रही है और इसकी एवज में दवा कंपनियां चिकित्सकों को कमीशन के रूप में तय रकम दे रही हैं।
बाहर की दवा लिखने पर प्रतिबंध
प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवाएं और टेस्ट लिखने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा हैं। लेकिन इसके बाद भी ओपीडी से बाहर की दवाएं लिखी जा रही है। इसकी शिकायत मिलने पर आठ जून को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी को पत्र लिखकर अल्टीमेटम दिया था। सीएमओ ने हिदायत दी थी कि बाहर की दवाएं न लिखी जाएं। लेकिन यह सिलसिला अभी रूक नहीं पा रहा है।
शिकायत पर होगी सख्त कार्रवाई
वही इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मोहन का कहना है कि उन्हें इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है अगर शिकायत मिलेगी तो तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाएगी सरकारी अस्पताल में लगभग सभी तरह की दवाई उपलब्ध है और मरीजों को आवश्यकता अनुसार दावों का वितरण किया जा रहा है।
क्या मेडिकल स्टोर से है सेटिंग
इस संबंध में डॉक्टर बीपी त्यागी का कहना है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा लगातार बाहर से दवा लिखने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं ऐसे में यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि कुछ डॉक्टरों की मेडिकल स्टोर से सेटिंग हो गई है जिसके चलते हुए कमीशन बेस पर ऐसा काम कर रहे हैं हालांकि यह संबंध में राज्य सरकार जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सख्त कदम उठाते हुए सुनिश्चित करना चाहिए कि गरीब मरीजों को अस्पताल से ही दवा दी जाए और अगर कोई डॉक्टर इस प्रकार की कार्रवाई में संयुक्त मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
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