गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी गतिरोध अब सतह पर आ चुका है। हाल ही में गाजियाबाद में कांग्रेस के जिला कार्यालय पर एक अप्रत्याशित घटना सामने आई है, जिसने न केवल पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को आहत किया है, बल्कि संगठन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस की उस ‘त्रिमूर्ति’, जिसे पार्टी के लोग समर्पण और निष्ठा की मिसाल मानते हैं, में से एक सदस्य को कार्यालय से बाहर निकाल दिए जाने की घटना ने कार्यकर्ताओं में नाराजगी की लहर पैदा कर दी है।
त्रिमूर्ति: समर्पण की मिसाल
गाजियाबाद कांग्रेस कार्यालय में ‘त्रिमूर्ति’ नाम से पहचाने जाने वाले तीन ऐसे कार्यकर्ता हैं जो वर्षों से बिना किसी लालसा के पार्टी की सेवा में लगे हुए हैं। अध्यक्ष कोई भी रहा हो, इनका समर्पण कभी कम नहीं हुआ। सुबह से लेकर शाम तक पार्टी कार्यालय में उपस्थित रहना, प्रत्येक धरना, प्रदर्शन और कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना इनकी आदत बन चुकी है। पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के अनुसार, यह लोग अपने निजी कार्यों को भी त्यागकर पार्टी कार्यों को प्राथमिकता देते हैं।
नए नेतृत्व के साथ बदली हवा
हाल ही में पार्टी में नए अध्यक्षों के चयन के बाद कुछ पुराने और निष्क्रिय नेताओं ने सक्रियता दिखानी शुरू की है। वहीं दूसरी ओर, समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जाने लगा है। इसी क्रम में, कार्यालय पर उपस्थित त्रिमूर्ति के एक सदस्य से कुछ नेताओं ने असम्मानजनक व्यवहार किया।
सूत्रों के अनुसार, एक दिन जब त्रिमूर्ति का एक सदस्य नियमित रूप से कार्यालय पहुंचा और बरामदे में कुर्सी लगाकर बैठा, तो अंदर बैठे कुछ नेताओं को यह नागवार गुजरा। इनमें से एक नेता ने उनसे यह कहकर चले जाने को कहा कि, "हम कुछ पर्सनल बात कर रहे हैं, कृपया यहां से चले जाएं।" वरिष्ठ नागरिक हो चुके उस कार्यकर्ता ने बिना विरोध किए चुपचाप वहां से जाना उचित समझा और यह बात अपने अन्य साथियों से साझा की।
अध्यक्ष की चुप्पी से और गहराया विवाद
त्रिमूर्ति के अन्य सदस्यों ने इस अपमानजनक व्यवहार पर कड़ा विरोध जताया और मामला कांग्रेस के नए अध्यक्ष के संज्ञान में भी लाया। परंतु अध्यक्ष की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर त्रिमूर्ति आहत हो गई और उन्होंने पार्टी कार्यालय जाना बंद कर दिया। अब वे एक पूर्व महानगर अध्यक्ष के कार्यालय में बैठने लगे हैं।
पार्टी में उठा असंतोष का तूफान
इस घटनाक्रम ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। चर्चा है कि क्या पार्टी कार्यालय किसी व्यक्ति विशेष की निजी संपत्ति है, जो समर्पित कार्यकर्ताओं को वहां से बाहर जाने को कहा जाए? कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि पार्टी कार्यालय पर समर्पित लोगों का सम्मान नहीं होगा, तो संगठन कैसे मजबूत होगा?
नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौती
अब निगाहें कांग्रेस नेतृत्व पर टिकी हैं कि वह इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। त्रिमूर्ति के एक सदस्य के साथ हुआ व्यवहार केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि संगठन के उस वर्ग का अपमान है जो निःस्वार्थ भाव से पार्टी की सेवा करता आया है।
यदि पार्टी ने इस मुद्दे को नजरअंदाज किया, तो इससे न केवल समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा बल्कि गाजियाबाद में कांग्रेस की जमीनी ताकत भी प्रभावित हो सकती है।