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डॉ बीपी त्यागी का इस्तीफा
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों की सेवा में लापरवाही के गंभीर आरोप सामने आए हैं। सिविल डिफेंस द्वारा लगाए गए एक मेडिकल कैंप से कांवड़ यात्रा पूरी होने से पहले ही दवाइयां हटवा दी गईं, जिससे न केवल शिव भक्तों को परेशानी हुई, बल्कि इस निर्णय से आहत होकर सिविल डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारी और सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. बी.पी. त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
बेहद गंभीर मामला
यह मामला मेरठ रोड स्थित गुलधर दुहाई के पास, राजनगर-संजयनगर से उतरने वाले पुल के पास लगाए गए चिकित्सा शिविर का है, जहां 17 जुलाई से लगातार सैकड़ों कांवड़ियों का उपचार किया जा रहा था। पांच दिनों तक दिन-रात सेवा देने के बाद, शिविर में मौजूद दवाइयों को यात्रा समाप्ति से पहले ही हटवाने का निर्देश आया, जिससे पूरे चिकित्सा तंत्र में हड़कंप मच गया।डॉ. बी.पी. त्यागी ने बताया कि यह निर्णय अमानवीय और संवेदनहीन है। उनका कहना है कि ये दवाइयां विशेष रूप से उन शिव भक्तों के लिए रखी गई थीं, जो हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं और महादेव का जलाभिषेक करने गाजियाबाद पहुंचते हैं। 200 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा के बाद कई कांवड़ियों की तबीयत खराब हो जाती है, ऐसे में चिकित्सा सेवा की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।
अनिल अग्रवाल पर आरोप
इस पूरे मामले में कैंप प्रभारी और सिविल डिफेंस से जुड़े अनिल अग्रवाल की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अनिल अग्रवाल, सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन ललित जायसवाल के करीबी माने जाते हैं और उनका नाम पूर्व में भी कई विवादों से जुड़ा रहा है।जब इस संबंध में गाजियाबाद के एडीएम सिटी विकास कश्यप से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इस मामले की जानकारी से इनकार कर दिया। वहीं सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन ललित जायसवाल ने भी कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नवग्रह टाइम्स के माध्यम से ही मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि डॉ. बी.पी. त्यागी एक वरिष्ठ, ईमानदार और कर्मठ चिकित्सक हैं, और इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी।
छवि पर प्रश्न चिन्ह
कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा पुष्पवर्षा और सम्मान की खबरों के बीच यह लापरवाही प्रशासन की छवि पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है। डॉ. त्यागी का इस्तीफा केवल एक विरोध नहीं, बल्कि सेवा भाव से जुड़ी एक व्यवस्था पर गहरा प्रहार है।अब देखना यह है कि प्रशासन इस पूरे प्रकरण पर क्या कदम उठाता है और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं। फिलहाल, कांवड़ियों की सेवा में आई यह बाधा एक गहरी चिंता का विषय बन चुकी है।
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