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जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
कहते हैं कि अगर आपके जेब में नोटों की गड्डी है तब पूरी बस्ती आपकी जय जयकार करेगी, सारा सिस्टम आपको सलाम करेगा और हर सुविधा आपके चरणों में नजर आएगी। फिर वह सुविधा प्राइवेट हो या फिर सरकारी हो कुछ यही नजारा नगर निगम में भी देखने को मिल रहा है।
सुविधा शुल्क की माया
कहते है कि यदि चांदी का जूता भारी है तो नगर निगम के जन्म मृत्यु सर्टिफिकेट विभाग में न केवल सर्टिफिकेट पल भर में तैयार करते हुए थमा दिया जाएगा,किसी तरह के संशोधन की सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाएगी,अन्यथा सर्टिफिकेट बनाने के लिए ऐसे दस्तावेज की उपलब्धता बता दी जाएगी कि कई कई माह तक निगम के जन्म मृत्यु विभाग में आपकों भटकना पडेगा। इसमें भी जरूरी नहीं कि सर्टिफिकेट उपलब्ध हो जाए।
दस्तावेज का जाल
जानकारों की मानें तो कई मामलों में सर्टिफिकेट की एवज में सुविधा राशि उपलब्ध कराने एवं एसडीएम की रिपोर्ट प्राप्त हो जाने के बाद भी कागजों का पता नहीं है। बताते है कि परिवार के किसी सदस्य की घर में मौत हो जाने की स्थिति में ऐसे दस्तावेज बता दिए जाएंगे कि जिन्हें उपलब्ध कराना संभव नहीं है। एक समय था कि निगम के नवयुग मार्केट स्थित मुख्यालय पर भीजन्म मृत्यु से संबंधित सर्टिफिकेट तैयार करने की व्यवस्था की गई थीं,लेकिन उसे हटाते हुए निगम के टाउन हाल स्थित जोन कार्यालय में स्थानांतरित कर दी गई। अब जन्म-मृत्यु से संबंधित सर्टिफिकेट के लिए निगम मुख्यालय पहुंचने वाले लोगों को टाउन हाल के लिए भेज दिया जाता है।
जिम्मेदारी का अभाव
बताते है कि निगम के मोहन नगर जोन कार्यालय पर करीब दो साल पहले शिवकुमार शर्मा को जन्म मृत्यु सर्टिफिकेट की जिम्मेदारी तत्कालीन नगर आयुक्त के द्वारा दी गई थीं। बताते है कि देखा जाए तो जन्म मृत्यु से संबंधित कार्य किसी अन्य कर्मचारी से लिया जा रहा है। इसमें भी कम्प्यूटर आपरेटर के तौर पर बाहरी की सेवाएं ली जा रही है। बताते है कि निगम के तमाम जोन कार्यालयों पर दलाल छोडे गए है। जिनके द्वारा डेढ से दो हजार रूपए की सर्टिफिकेट के एवज में वसूली की जा रही है। इन दलालों के माध्यम से सर्टिफिकेट पल भर में जारी कर दिए जाते है। हैरत का पहलू ये है कि निगम सदन की बैठक के दौरान मुददा उठने के बाद भी सुधार होते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। निगम के सूत्र बताते है कि जन्म मृत्यु के सर्टिपिफकेट के खेल को अंजाम देने के लिए निजी लोगों का सहारा लिया जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार भी परेशान
वरिष्ठ पत्रकार नितिन आशु का कहना है कि उन्होंने गत दिसंबर के प्रथम सप्ताह में अपने दोनों बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया था लेकिन दो माह से अधिक समय व्यतीत हो गया परंतु अभी तक बर्थ सर्टिफिकेट नहीं बन सकते हैं इस संबंध में उन्होंने विजयनगर नगर निगम जोन में जब पता किया तो उन्होंने कहा कि आपकी फाइल एसडीएम सदर के कार्यालय भेज दी गई है जबकि एसडीएम सदर के कार्यालय में भी फाइल कम से कम 2 घंटे तक ढूंढी गई लेकिन नतीजा कुछ हासिल नहीं हुआ।
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