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अवैध निर्माण
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
एसएमबी समूह द्वारा विकसित शौर्यपुरम योजना से जुड़े आवंटियों ने बिल्डर पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। आवंटियों का कहना है कि बिल्डर ने जीडीए से स्वीकृत डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की है, लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी इस पर कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने में लगे हुए हैं।
डीपीआर से छेड़छाड़
आरएन सचान द्वारा आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज शिकायत में कहा गया कि वर्ष 2016 में स्वीकृत डीपीआर के अनुसार नागरिक सुविधाओं के लिए जो भूमि निर्धारित थी, उस पर बिल्डर ने पंप हाउस, पानी की टंकी और बिजली ट्रांसफार्मर खड़े कर दिए। इतना ही नहीं, पार्क के लिए निर्धारित भूमि पर आवासीय भूखंड काटकर सी ब्लॉक विकसित कर दिया गया।शिकायत में आरोप लगाया गया कि जब आवंटियों ने इसका विरोध किया तो जीडीए प्रवर्तन विभाग ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि बिल्डर के खिलाफ थाने में तहरीर दी जा चुकी है और मामला क्रेता एवं निर्माता के बीच का है। जबकि हकीकत यह है कि यह नागरिक सुविधाओं की जमीन पर अवैध निर्माण से जुड़ा मसला है, जिसमें प्राधिकरण की सीधी भूमिका बनती है।
शासन को किया गुमराह
आरएन सचान ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन विभाग ने शासन को गुमराह किया है। उन्होंने खुलासा किया कि पुलिस को दी गई तहरीर में जनता से धोखाधड़ी का जिक्र तो है, लेकिन डीपीआर से की गई छेड़छाड़ का उल्लेख तक नहीं किया गया। आवंटियों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषी बिल्डर और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्राधिकरण स्तर पर समय रहते सख्ती नहीं बरती गई तो योजना में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। इस मामले ने एक बार फिर जीडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।