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प्रेस वार्ता
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
पूर्व पार्षद जाकिर अली सैफी, मनोज चौधरी और वार्ड 95 की महिला पार्षद रूकसाना सैफी ने एक संवाददाता सम्मेलन में नगर निगम गाजियाबाद के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि निगम में वर्षों से जमा बैठे कुछ अधिकारी भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण दे रहे हैं और जनता पर हाउस टैक्स का बेवजह बोझ डाल रहे हैं। नेताओं ने तीन साल या उससे अधिक समय से एक ही स्थान पर तैनात अधिकारियों की संपत्ति की जांच कराने की मांग की।
निगम पर लगाए गंभीर आरोप
पूर्व पार्षदों ने आरोप लगाया कि उत्तरांचल भवन, पूर्वांचल भवन और बाल्मीकि सभागार के निर्माण कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने बताया कि इन भवनों की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनवाने के लिए एक ऐसे आर्किटेक्ट को ठेका दिया गया, जिसने बार-बार डीपीआर में बदलाव कर ठेके की लागत बढ़ाई। इससे निर्माण कार्य की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रस्तुत किया भ्रष्टाचार के आंकड़े
विकास कार्यों को लेकर भी पार्षदों ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए निगम अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। वार्ड संख्या 9 और 19 में मार्च 2024 में करीब 6 लाख रुपये की लागत से पैच मरम्मत कराई गई थी, जबकि अक्टूबर 2024 में पटेलनगर प्रथम में 16 लाख रुपये की लागत से डेंसिंग और 20 लाख रुपये से साइड पटरी का कार्य कराया गया। नेताओं ने पूछा कि जब पहले ही 1.80 करोड़ रुपये के बजट से सड़क कार्य स्वीकृत था, तो फिर पैच मरम्मत की आवश्यकता क्यों पड़ी?
अवैध निर्माण को संरक्षण
उन्होंने निगम के निर्माण विभाग पर आरोप लगाया कि यूपीएसआईडीसी में दर्ज अनाधिकृत कॉलोनियों में करोड़ों रुपये की लागत से अवैध निर्माण कराए जा रहे हैं। ऐसे कार्यों से सरकारी धन की बर्बादी और भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है।नेताओं ने यह भी कहा कि निगम में लंबे समय से एक ही जोन में जमे सुपरवाइजर कुछ ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर कार्य कर रहे हैं और ठेकों में पक्षपात किया जा रहा है। जलकल विभाग में भी इसी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात कही गई। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से 70 फीसदी नलकूपों का सामान चोरी हो चुका है और शेष 30 फीसदी नलकूप वर्षों से निष्क्रिय पड़े हैं, जिससे जनता को पीने के पानी की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
गंभीर होंगे परिणाम
नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि इन भ्रष्टाचारों की निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई तो कांग्रेस पार्टी जनांदोलन शुरू करने पर मजबूर होगी। साथ ही मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन विभाग से उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है ताकि जनता का पैसा सही दिशा में खर्च हो सके और नगर निगम में पारदर्शिता बहाल की जा सके।