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Corruption : तहसील परिसर में पार्किंग शुल्क पर खुला खेल

बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों पर अवैध पार्किंग लंबे समय से विवाद का विषय बनी हुई है। उद्यमियों की बार-बार की मांगों के बावजूद इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अब खुलासा हुआ है कि तहसील परिसर और उसके आसपास पार्किंग के नाम पर जमकर खेला

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Syed Ali Mehndi
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सदर तहसील पार्किंग विवाद

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों पर अवैध पार्किंग लंबे समय से विवाद का विषय बनी हुई है। उद्यमियों की बार-बार की मांगों के बावजूद इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अब खुलासा हुआ है कि तहसील परिसर और उसके आसपास पार्किंग के नाम पर जमकर खेला किया जा रहा है।

मनमाना शुल्क वसूली 

जिस ठेकेदार को पार्किंग का ठेका दिया गया है, वह मनमाने तरीके से शुल्क वसूल कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि उसके द्वारा दी जाने वाली पर्चियों पर न तो कोई क्रमांक अंकित होता है और न ही शुल्क राशि का स्पष्ट उल्लेख होता है। इसका अर्थ यह है कि जो पर्ची दी जा रही है, वह आधिकारिक रूप से मान्य नहीं है और ठेकेदार सीधे आम जनता से पैसा वसूल रहा है।सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैध ने इस पूरे मामले का खुलासा नगर आयुक्त के सामने किया। उन्होंने बताया कि एक रजिस्ट्री कराने के लिए तहसील जाने पर उन्होंने गाड़ी खड़ी की, तब ठेकेदार ने उनसे शुल्क लिया। जब पर्ची देखी गई तो उसमें नंबर और शुल्क राशि कहीं भी दर्ज नहीं थी। यही नहीं, कई बार भीड़ होने की स्थिति में ठेकेदार दोगुना-तिगुना शुल्क भी वसूल करता है।

निरंकुश ठेकेदार

आमतौर पर पार्किंग के लिए नगर निगम द्वारा एरिया का निर्धारण किया जाता है और उसके हिसाब से ही शुल्क तय होता है। लेकिन तहसील के आस-पास की स्थिति अलग है। यहां हर सड़क पर वाहन खड़े होने पर शुल्क वसूला जा रहा है। इसे आमजन के साथ खुली लूट कहना गलत नहीं होगा।इस तरह की मनमानी से जहां जनता परेशान है, वहीं नगर निगम की छवि पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर ठेकेदार को मनमानी करने की छूट मिल रही है, तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं प्रशासन की मिलीभगत भी है। यह मुद्दा अब सामाजिक संगठनों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है और उम्मीद की जा रही है कि नगर आयुक्त इस पर जल्द ही कार्रवाई करेंगे।

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