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फाइल फोटो
ग़ाज़ियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
परिवहन विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। यहां बिना दलाल के कोई भी काम कराना नामुमकिन है। आम आदमी अगर सीधे दफ्तर जाकर काम करवाना चाहे तो उसे इतनी परेशानी और टालमटोल झेलनी पड़ती है कि अंततः उसे दलाल के पास जाना ही पड़ता है।
भ्रष्टाचार का जाल
यदि आप वाहन की चैसिस जांच, CNG फिटिंग, या कोई अन्य कार्य करवाना चाहते हैं, तो विभाग के नियमों के अनुसार आपको स्वयं उपस्थित रहकर वाहन लाना जरूरी है। लेकिन जैसे ही आप दलाल के माध्यम से काम कराते हैं, न वाहन लाने की जरूरत पड़ती है, न दस्तावेज़ों की जांच होती है — सब काम चुपचाप और तेज़ी से हो जाता है।इसी तरह, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जहां आम नागरिक को टेस्ट देना होता है, वहीँ दलाल के ज़रिए बिना टेस्ट दिए ₹2000 में लाइसेंस घर पहुंच जाता है।
दलालों ने खुले तौर पर रेट भी तय कर रखे हैं:
चैसिस जांच: ₹500
CNG स्वीकृति: ₹1000
ड्राइविंग लाइसेंस: ₹2000
दलालों का राज
दलाल खुद कहते हैं – "ये तो सिर्फ RI यानी मोटर वाहन निरीक्षक के रेट हैं।" इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक फैला है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद यहाँ उन्हीं के आदेशों की धज्जियां उड़ती साफ देखी जा सकती हैं। प्रश्न ये है – क्या सरकार और प्रशासन इस संगठित भ्रष्टाचार पर कोई सख्त कदम उठाएंगे, या फिर आम जनता इसी दलाली तंत्र में पिसती रहेगी?
किसी से नहीं डरते
परिवहन विभाग के आसपास दलालों का मजबूत जाल है हालांकि कभी कभी प्रशासन इसकी सुध लेता है और ड्राइव चलता है लेकिन दो दिन सन्नाटा रहने के बाद स्थिति पुराने जैसी हो जाती है और एक बार फिर दलाल दुगनी शक्ति, दुगने वेग और दुगने समर्थ के साथ दलाली के धंधे को चरम स्तर पर पहुंचा देते हैं।
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