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पूर्व संसद पर मुकदमा दर्ज
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद की सिहानी गेट पुलिस ने विशेष अपर सत्र न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट के आदेश पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल समेत छह लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने राजस्थान निवासी एक व्यक्ति की जमीन को फर्जी दानपत्र के जरिए हड़पकर ट्रस्ट के नाम करवा लिया। मामले में जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें अनिल अग्रवाल, वर्तमान राज्यसभा सांसद दीपांजलि अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल और अतुल भूषण के नाम शामिल हैं। इनके अलावा हरिश्चंद्र रामकली चेरिटेबल ट्रस्ट को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी कर मूल्यवान दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना) और 120 बी (षड्यंत्र) के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है।
मामला क्या है?
शिकायतकर्ता का आरोप है कि राजस्थान में उसकी पुश्तैनी जमीन को फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर हरिश्चंद्र रामकली चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम दर्ज करा दिया गया। इस फर्जीवाड़े में न केवल निजी व्यक्तियों की संलिप्तता सामने आई है बल्कि आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से मिलकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
मामले की शिकायत लंबे समय से चल रही थी लेकिन पुलिस स्तर पर कार्रवाई न होने के बाद पीड़ित ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही सिहानी गेट थाने में सभी आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
बीजेपी के पूर्व और वर्तमान राज्यसभा सांसदों के नाम इस मामले में सामने आने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को पकड़कर सत्तारूढ़ पार्टी पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। वहीं, पुलिस का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
जांच में जुटी पुलिस
गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है। जांच के दौरान फर्जी दानपत्र, जमीन के दस्तावेज और रजिस्ट्री संबंधी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि यदि दस्तावेजों की फर्जीवाड़े से पुष्टि होती है तो आरोपियों की गिरफ्तारी की भी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। यह मामला न केवल जमीन कब्जे और फर्जी दस्तावेज तैयार करने से जुड़ा है बल्कि इसमें राजनीति और शक्ति का दुरुपयोग भी सामने आ रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।