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गाजियाबाद न्यायालय
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
न्याय भले ही देर से मिला हो, लेकिन पीड़ितों के लिए यह जीत उम्मीद और विश्वास की मिसाल बन गई है। थाना विजय नगर में वर्ष 2014 में दर्ज एक पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत मुकदमे में फंसाए गए दो व्यक्तियों—केहर सिंह उर्फ राजकुमार और टीटू—को आखिरकार 12 साल बाद अदालत से पूरी तरह राहत मिली है। न्यायालय ने उन्हें झूठे आरोपों से बरी करते हुए निर्दोष घोषित किया है।पीड़ित पक्ष के अनुसार, यह मुकदमा पूरी तरह झूठे आरोपों पर आधारित था, जिसमें उन्हें तीन महीने तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी। इन सालों में उन्होंने मानसिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर भारी परेशानियों का सामना किया। बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और न्याय की लड़ाई लगातार जारी रखी।
सच की जीत
केहर सिंह और टीटू ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस लम्बी कानूनी लड़ाई में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। सबसे अहम भूमिका उनके अधिवक्ता देवाशीष वर्मा की रही, जिन्होंने अदालती प्रक्रिया में बेहतरीन तरीके से बचाव करते हुए झूठे मुकदमे की सच्चाई को सामने रखा। एडवोकेट वर्मा ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर साबित कर दिया कि यह मामला मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण था।
न्यायालय पर था पूर्ण विश्वास
अभियुक्तों ने बताया कि उन्होंने हमेशा न्यायालय पर भरोसा बनाए रखा और उन्हें यकीन था कि एक दिन सच्चाई की जीत जरूर होगी। उन्होंने कहा कि भले ही इस मुकदमे ने उनके जीवन के कीमती वर्ष छीन लिए, लेकिन अब जब उन्हें न्याय मिला है, तो वे इसे एक नई शुरुआत मानते हैं। यह मामला सिर्फ दो निर्दोष लोगों की जीत नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो झूठे मुकदमों में फंसे होने के बावजूद सत्य और न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ते। न्यायालय के इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।