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ताबड़तोड़ वारदात
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
तीन वर्ष पूर्व कमिश्नरेट प्रणाली अपनाने वाला गाजियाबाद जनपद इन दिनों अपराध की घटनाओं के चलते गहन आलोचना का केंद्र बन गया है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से ‘बीट पुलिसिंग’ मॉडल लागू कर अपराध नियंत्रण का प्रयास किया गया था, जिसमें छोटे-छोटे क्षेत्रों की जिम्मेदारी व्यक्तिगत पुलिसकर्मियों को सौंपी गई है। लेकिन हालिया आंकड़ों और घटनाओं ने इस मॉडल की विफलता को उजागर कर दिया है। मात्र 30 दिनों में जिले में 16 हत्याएं और चार बड़े बवाल की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे आमजन के बीच भय और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है।
दिनदहाड़े हत्या और लूट
सबसे चौंकाने वाली घटना थाना नंदग्राम क्षेत्र के एक सोसाइटी में सामने आई, जहां 6 जून को होटल कारोबारी राहुल डागर की दिनदहाड़े सरिया और गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतक के परिजनों का दावा है कि आरोपी ने घटना से 24 घंटे पहले ही हत्या की धमकी दी थी और थाने में इस बाबत रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। इसके बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आरोपी ने न सिर्फ सरेआम हत्या की बल्कि शव पर बैठकर गला भी दबाया, जिससे पूरे शहर में सनसनी फैल गई। एक और झकझोर देने वाली घटना कविनगर क्षेत्र की है, जहां हापुर चुंगी पर एक पति ने भीड़भाड़ वाले इलाके में अपनी पत्नी पर तेजाब फेंक दिया। इसी बीच पालिका अध्यक्ष की एक फैक्ट्री में लूट की वारदात को अंजाम दिया गया। वहीं एक स्टांप विक्रेता से साढ़े आठ लाख रुपए की लूट भी हुई, जिसने कानून व्यवस्था की हकीकत को उजागर कर दिया।
फेल हो गया खुफिया तंत्र
बीट पुलिसिंग के नाम पर छोटे-छोटे इलाकों में तैनात पुलिसकर्मी न तो प्रभावी सूचना तंत्र विकसित कर पाए हैं और न ही समय रहते अपराध को रोक पाने में सफल हो रहे हैं। अपराधी घटनाओं को अंजाम देकर खुलेआम फरार हो रहे हैं, जो पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। इन घटनाओं के संबंध में पुलिस आयुक्त के अधीनस्थ, अतिरिक्त कानून व्यवस्था अधिकारी आलोक प्रियदर्शी का कहना है कि “अपराधों पर नियंत्रण हेतु ‘बीट पुलिसिंग’ की व्यवस्था लागू की गई है। अधिकांश घटनाएं व्यक्तिगत रंजिश या क्षणिक आक्रोश के चलते हुई हैं। फिर भी पुलिस ने कई मामलों का खुलासा कर आरोपियों की गिरफ्तारी की है और संदिग्धों पर लगातार नजर रखी जा रही है।