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फाइल फोटो
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
लोनी क्षेत्र के गांव पावी सादकपुर स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए भर्ती एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है। मृतक की मां ने केंद्र संचालक और एक कर्मचारी पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया है, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
11 जून को हुई थी मौत
घटना 11 जून की है, जब फरीदाबाद (हरियाणा) सेक्टर-3 निवासी रेनू के 31 वर्षीय बेटे मनिंदर सिंह की मौत हो गई। रेनू स्वास्थ्य विभाग में नर्स हैं, जबकि उनके पति सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। उनका बेटा मनिंदर, जो पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से बीटेक कर चुका था, एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। हाल के दिनों में वह मानसिक तनाव में रहने लगा था, जिसके चलते चिकित्सकीय सलाह पर परिवार ने उसे 1 जून को लोनी के साधनपुर स्थित “विंग ऑफ लाइफ ” नामक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया।
तीन गुना पैसे वसूले
मृतक की मां रेनू का आरोप है कि केंद्र में दाखिले के वक्त उनसे ₹7000 की बजाय ₹22000 की मांग की गई और उचित इलाज का आश्वासन दिया गया। लेकिन केंद्र संचालकों—विकास गुप्ता और दिनेश गुप्ता—पर आरोप है कि उन्होंने मनिंदर के साथ मारपीट की और उसे अत्यधिक नींद की दवाइयां दीं, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। 11 जून को जब उसकी हालत गंभीर हुई, तो केंद्र के कर्मचारी उसे दिल्ली के जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
शव सौंप कर फरार
मृतक के परिजनों का कहना है कि रात करीब 9 बजे उन्हें फोन पर मनिंदर की मृत्यु की सूचना दी गई। जब वह अस्पताल पहुंचे, तो देखा कि केंद्र के कर्मचारी इमरजेंसी के बाहर शव लेकर खड़े थे। परिजनों को शव सौंपने के बाद सभी कर्मचारी फरार हो गए। इसके बाद जब मृतक की मां थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचीं, तो पुलिस ने लापरवाही दिखाई और तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की।मंगलवार को जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो उसमें यह खुलासा हुआ कि मनिंदर के शरीर पर चोटों के निशान थे और कान से खून निकल रहा था। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और पावी सादकपुर निवासी विकास गुप्ता और दिनेश गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।
होगी कानूनी कार्रवाई
एसीपी लोनी सिद्धार्थ गौतम ने पुष्टि की है कि मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है और आगे की कार्रवाई पोस्टमार्टम की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी। पुलिस का कहना है कि दूसरे परीक्षण की रिपोर्ट सुरक्षित रखी गई है, जिससे मौत के सही कारणों की पुष्टि की जा सके। इस घटना ने एक बार फिर नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली और वहां की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जरूरत है कि ऐसे संस्थानों पर कड़ी निगरानी रखी जाए, ताकि इलाज के नाम पर लापरवाही या अमानवीय व्यवहार की घटनाएं रोकी जा सकें।