/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/05/WaaChJrhLGKguyl6Lqhk.jpg)
फर्जी जमानती पकड़े
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जिले की क्राइम ब्रांच व थाना कविनगर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक बड़े फर्जी ज़मानत गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो वर्षों से जेल में निरुद्ध आरोपियों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे ज़मानत दिलवा रहा था। पुलिस ने इस गिरोह के सात सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई आरडीसी क्षेत्र में की गई, जहाँ गिरोह सक्रिय रूप से फर्जी ज़मानती तैयार करता था।
देते थे फर्जी जमानत
गिरफ्तार आरोपियों में अनोज यादव (मेरठ), इसरार (डासना), बबलू व लोकेन्द्र (मोदीनगर), राहुल शर्मा (घूकना), सुनील कुमार (मोदीनगर/बागपत) और विकास राजपूत उर्फ सम्राट (लखीमपुर खीरी/राजनगर) शामिल हैं। इनके कब्जे से 21 फर्जी आधार कार्ड, 18 खतौनियां, 5 बिना भरे बेल बॉन्ड, 5 रसीदी टिकट, 10 फर्जी मोहरें, 1 लैपटॉप व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह का सरगना अनोज यादव पहले नोएडा में नौकरी करता था लेकिन कोविड महामारी के दौरान नौकरी छूटने के बाद वह कचहरी में फाइल ले जाने का कार्य करने लगा। वहीं उसकी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई जिन्हें ज़मानती नहीं मिल रहे थे। यहीं से उसने फर्जी ज़मानती तैयार करने का काम शुरू कर दिया।
नेटवर्क सक्रिय
गिरोह के सदस्य पहले उन आरोपियों से संपर्क करते थे जिन्हें जेल से ज़मानत पर रिहा होना होता था लेकिन जिनके पास ज़मानतदार नहीं होते थे। फिर 20-30 हजार की ज़मानत राशि के बदले 5 से 7 हजार रुपये और 40-50 हजार की ज़मानत राशि के बदले 7 से 10 हजार रुपये वसूले जाते थे। विकास उर्फ सम्राट ऑनलाइन भूलेख पोर्टल से किसी व्यक्ति की खतौनी निकालता, फिर उस व्यक्ति के नाम पर फोटो बदलकर फर्जी आधार कार्ड तैयार करता। इसके बाद बेल बॉन्ड, रसीदी टिकट और नकली मोहरों की सहायता से पूरे ज़मानती दस्तावेज तैयार किए जाते थे।गिरोह पुलिस सत्यापन की औपचारिकता को भी फर्जी मोहरों के जरिए पूरा करता था और दस्तावेज सीधे न्यायालय में दाखिल कर दिए जाते थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि अब तक वे लगभग 600 से 700 फर्जी ज़मानतें करा चुके हैं। इनमें से कई मामले हाई प्रोफाइल अपराधियों से भी जुड़े हैं।