/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/04/o90Osgg8MYPjetV17XXx.jpg)
फाइल फोटो
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गत 25 मई को गाजियाबाद के नाहल गांव में नोएडा पुलिस की एक टीम हिस्ट्रीशीटर बदमाश को पकड़ने गई थी, लेकिन यह मिशन पुलिस के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ। गांव में पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया, जिसमें कांस्टेबल सौरभ कुमार की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया और पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। अब तक करीब 14 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, जबकि 42 अन्य लोगों को एहतियातन पूछताछ के लिए पकड़ा गया है। आरोपी भी गिरफ्तार हो चुका है और उसके अन्य सहयोगी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
गंभीर मामला
हालांकि इस गंभीर घटना के पीछे अब एक और स्याह सच्चाई सामने आ रही है—गांव में सक्रिय दलालों और तथाकथित 'पहुंच वाले' लोगों की। गांव के कुछ दबंग और दलाल किस्म के नेता दावा कर रहे हैं कि उनकी पुलिस से सीधी "सेटिंग" है। वे यह प्रचार कर रहे हैं कि यदि किसी का नाम इस केस में आया हो, तो वे मोटी रकम लेकर उसे हटवा सकते हैं। नाहल गांव के ही एक युवक, जो कि राजनगर के एक निजी अस्पताल में मेडिकल स्टाफ के रूप में कार्यरत है, ने बताया कि उसने गांव के कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना है कि "अगर पुलिस परेशान करे, तो हमारे पास आ जाना, हम सब सेट कर देंगे।"
दलालों का नेटवर्क
इस पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय पुलिस व्यवस्था और अपराध के बीच साठगांठ की संभावना को उजागर किया है। मसूरी क्षेत्र पहले से ही ऐसे मुखबिरों और दलालों के नेटवर्क के लिए कुख्यात है, जो जमीन विवाद, घरेलू झगड़े और मारपीट जैसे मामलों में "सलाहकार" की भूमिका निभाते हैं। चर्चा में जिन दलालों के नाम आ रहे हैं, उनमें एक कबाड़ी को "कबाड़ी चाचा", एक मीट दुकानदार, एक चौकीदार और "लंगड़ा पठान" नामक शख्स शामिल हैं। हालांकि अभी तक किसी के खिलाफ आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन गांव में यह चर्चा तेज है कि कुछ लोगों ने इन दलालों को पैसे देकर खुद को पुलिस कार्रवाई से "बचा" लिया है।
गाँव में सन्नाटा
पुलिस की कड़ी कार्रवाई के बावजूद नाहल गांव का माहौल भयभीत और सन्नाटे से भर गया है। गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है और सुरक्षा बलों की तैनाती जारी है। इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि कैसे अपराधी, दलाल और सिस्टम की कमजोर कड़ियां मिलकर एक आम नागरिक की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को चुनौती दे सकते हैं।
जाँच ज़रूरी
यह समय है कि ऐसे दलालों की भूमिका की गहराई से जांच की जाए और यदि पुलिस या प्रशासन के किसी अधिकारी की भी मिलीभगत सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई हो। कांस्टेबल सौरभ कुमार की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक व्यवस्था पर हमला है, जिसे जवाब देना ही होगा।