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Crime : दबंगई,भ्रष्टाचार का गंदा खेल,पत्रकार आत्महत्या को मजबूर

थाना कोतवाली क्षेत्र के बजरिया इलाके से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जो न केवल कानून व्यवस्था बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। यहां एक वरिष्ठ पत्रकार को इस कदर प्रताड़ित किया गया कि वे आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार तक

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Syed Ali Mehndi
पीड़ित पत्रकार

पीड़ित पत्रकार

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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता

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थाना कोतवाली क्षेत्र के बजरिया इलाके से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जो न केवल कानून व्यवस्था बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। यहां एक वरिष्ठ पत्रकार को इस कदर प्रताड़ित किया गया कि वे आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार तक पहुंच गए। आरोप है कि भू-माफिया, भ्रष्ट तंत्र और प्रशासनिक लापरवाही के चलते पत्रकार को न्याय नहीं मिला, उल्टा उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा।

पीड़ित पत्रकार 

मामले की शुरुआत तब हुई जब बजरिया में रहने वाले एक किरायेदार ने मकान मालिक—जो पेशे से पत्रकार हैं—के घर के मुख्य रास्ते को दीवार खड़ी कर बंद कर दिया। जब पत्रकार ने इसकी शिकायत पुलिस और स्थानीय प्रशासन से की, तो कार्रवाई की जगह उन्हें ही धमकाने का सिलसिला शुरू हो गया। पत्रकार का कहना है कि भू-माफिया और पुलिस प्रशासन के बीच मिलीभगत है, जिससे उनकी शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया गया।

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आत्महत्या को मजबूर 

पीड़ित पत्रकार ने अपनी व्यथा जाहिर करते हुए कहा कि वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और इस अन्यायपूर्ण स्थिति ने उन्हें आत्महत्या जैसे गंभीर कदम पर सोचने को मजबूर कर दिया है। उनका आरोप है कि प्रशासन पूरी तरह “अंधा, बहरा और गूंगा” बन गया है। न्याय की उम्मीद रखना अब बेमानी लगता है, क्योंकि न तो पुलिस ने किरायेदार की दबंगई पर कोई कार्रवाई की और न ही भू-माफिया पर शिकंजा कसा।

सोशल मीडिया पर वायरल

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यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आम जनता और पत्रकार संगठनों में इस घटना को लेकर आक्रोश है। लोग जिला प्रशासन, गाजियाबाद पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और पीड़ित पत्रकार को न्याय मिले।यह घटना केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम की गहरी विफलता को उजागर करती है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच कराए और कानून के इकबाल को फिर से कायम करे। अन्यथा, आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था से भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

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