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Crime : बिक रही है एक्सपायरी डेट की दवाएं, सो रहा है प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग

गाजियाबाद में एक्सपायरी डेट की दवाओं को नया लेबल लगाकर बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। क्राइम ब्रांच और औषधि विभाग की संयुक्त टीम ने एक बड़े रैकेट का खुलासा करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि जिस व्यक्ति पर पहले से गलत दवा

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Syed Ali Mehndi
एक्सपायरी दवा बेचने की आरोपी

गिरफ्तार आरोपी

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

गाजियाबाद में एक्सपायरी डेट की दवाओं को नया लेबल लगाकर बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। क्राइम ब्रांच और औषधि विभाग की संयुक्त टीम ने एक बड़े रैकेट का खुलासा करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि जिस व्यक्ति पर पहले से गलत दवा सप्लाई करने का मुकदमा चल रहा था, वह लगातार सक्रिय होकर शहर में दवा का व्यवसाय कर रहा था, और विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह मामला स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

मेडिसिन हब 

जानकारी के अनुसार, राजनगर एक्सटेंशन में मेडिसिन हब नाम से फार्मेसी चलाने वाले विश्वास पर 2022 में कैंसर की दवा की गलत सप्लाई का आरोप लगा था। महाराष्ट्र स्थित एक अस्पताल में उसकी सप्लाई की गई दवा में गंभीर कमी पाई गई, जिसके कारण एक कैंसर मरीज की मौत भी हो गई थी। इस मामले में विश्वास के खिलाफ वाद दायर किया गया, लेकिन इसके बावजूद उसने न तो अपना कारोबार बंद किया और न ही औषधि विभाग ने उसके लाइसेंस की समीक्षा की। यह departmental negligence का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

औषधि विभाग की गहरी नींद पर सवाल

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति पर पहले से संवेदनशील मामले में मुकदमा चल रहा था, वह बिना रोक-टोक के गाजियाबाद में दवा की सप्लाई कर रहा था। न तो औषधि विभाग ने इस पर सख्ती दिखाई और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया। सवाल यह है कि क्या विभाग को इस तरह के मामलों की समय-समय पर जांच करने की जरूरत महसूस नहीं होती? क्या जिम्मेदारी केवल कार्रवाई होने के बाद फोटो खिंचवाने भर तक सीमित हो गई है?

म्यूजिक कंपनी की आड़ में चल रहा था दवा का काला कारोबार

विश्वास ने अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए म्यूजिक वीडियो प्रोडक्शन कंपनी खोली, जिससे वह खुद को रचनात्मक कार्य से जुड़ा दिखा सके। लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि वह इस कंपनी की आड़ में दवाओं की अवैध सप्लाई का नेटवर्क चलाता था। वह एक्सपायरी दवाओं के लेबल बदलकर उन्हें फिर से बाज़ार में उतार देता था। जिन दवाओं को नष्ट कर देना चाहिए था, वे सीधे मरीजों तक पहुंच रही थीं। यह न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करता है।

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लापरवाह विभाग 

यह मामला दर्शाता है कि अगर विभाग समय पर जांच करता, लाइसेंस की समीक्षा करता और सख्त निगरानी रखता, तो ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होती। अब जबकि यह रैकेट पकड़ा गया है, जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करे, प्रशासन जिम्मेदारी से काम करे और शहर में दवाओं की सप्लाई पर सख्त निगरानी रखी जाए। मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होना समय की मांग है।

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