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इस कोठी में चल रहा था फर्जी दूतावास। आरोपी हर्षवर्धन जैन। X
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की नोएडा यूनिट ने 22 जुलाई 2025 को गाजियाबाद में एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। टीम ने कविनगर क्षेत्र में संचालित हो रहे एक अवैध दूतावास को उजागर करते हुए मास्टरमाइंड हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया है। आरोपी हर्षवर्धन जैन, पुत्र जे. डी. जैन, KB-45 कविनगर, गाजियाबाद का निवासी है, जो पास ही स्थित KB-35 में किराए पर मकान लेकर खुद को विभिन्न माइक्रोनेशन देशों – जैसे West Arctica, Saborga, Poulvia और Lodonia – का कॉन्सुल या एम्बेसडर बताकर लंबे समय से धोखाधड़ी कर रहा था।
घर में चल रहा था फर्जी दूतावास
हर्षवर्धन लोगों को गुमराह करने के लिए डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल करता था और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित कई शीर्ष पदाधिकारियों के साथ अपनी मॉर्फ की हुई तस्वीरों का प्रचार करता था। STF जांच में सामने आया है कि वह कंपनियों और व्यक्तियों को विदेशों में काम दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूलता था और शेल कंपनियों के माध्यम से हवाला रैकेट का संचालन कर रहा था। अभियुक्त का अतीत भी आपराधिक रहा है। पूर्व में वह कुख्यात साधु चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी के संपर्क में रहा है। वर्ष 2011 में हर्षवर्धन के पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन भी बरामद हुआ था, जिस पर थाना कविनगर में केस दर्ज किया गया था।
STF द्वारा की गई बरामदगी
डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी चार लग्जरी गाड़ियां
विभिन्न माइक्रोनेशन देशों के 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट
विदेश मंत्रालय की नकली मोहरों सहित कूट रचित दस्तावेज
कूटरचित दो पैन कार्ड
34 कंपनियों और देशों की नकली मोहरें
दो फर्जी प्रेस कार्ड
44.70 लाख रुपये नगद
कई देशों की विदेशी मुद्राएं
दस्तावेजों का बड़ा जखीरा और 18 अलग-अलग डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट
अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला है जाल
STF की इस कार्रवाई ने न सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़ी धोखाधड़ी के नेटवर्क को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि किस तरह अपराधी खुद को डिप्लोमैटिक अधिकारी बताकर आम जनता और प्रशासन को वर्षों तक भ्रमित करते रहे हैं। गिरफ्तारी के बाद थाना कविनगर में अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है और आगे की वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क में कई और लोग जुड़े हो सकते हैं, जिनकी तलाश में पुलिस की टीमें छापेमारी कर रही हैं। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि फर्जीवाड़ा और हवाला नेटवर्क किस हद तक संगठित हो चुके हैं और इनसे निपटने के लिए सतर्कता और कड़ी जांच-पड़ताल की आवश्यकता है। STF की यह कार्रवाई कानून व्यवस्था की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।