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Crime : फर्जी दूतावास कांड, पुलिस को मिली 5 दिन की रिमांड

शहर में फर्जी दूतावास चलाने और खुद को विभिन्न देशों का राजनयिक सलाहकार बताने वाले आरोपी हर्षवर्धन जैन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अदालत ने आदेश दिया है कि पुलिस 29 जुलाई सुबह 10 बजे से लेकर 2 अगस्त

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Syed Ali Mehndi
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फर्जी दूतावास कांड

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

शहर में फर्जी दूतावास चलाने और खुद को विभिन्न देशों का राजनयिक सलाहकार बताने वाले आरोपी हर्षवर्धन जैन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अदालत ने आदेश दिया है कि पुलिस 29 जुलाई सुबह 10 बजे से लेकर 2 अगस्त शाम 4 बजे तक आरोपी को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर सकती है।

अदालत का स्पष्ट आदेश

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऐश्वर्या प्रताप सिंह ने आदेश में स्पष्ट किया कि पुलिस आरोपी को रिमांड पर लेने और वापस जेल भेजने से पहले उसका अनिवार्य रूप से चिकित्सकीय परीक्षण कराए। आदेश में यह भी कहा गया कि पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित न किया जाए। अगर आरोपी का अधिवक्ता चाहे तो पूछताछ के दौरान उपस्थित रह सकता है, लेकिन वह न तो किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करेगा और न ही आरोपी के ज्यादा करीब जाएगा।

कार्रवाई की वीडियोग्राफी

कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि पुलिस रिमांड की समस्त कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए और उसकी रिकॉर्डिंग की सीडी न्यायालय में पेश की जाए। इससे रिमांड प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी और आरोपी के साथ किसी भी प्रकार की अनियमितता से बचा जा सकेगा।

दिल्ली-गुजरात जाएगी पुलिस

सोमवार को कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में पुलिस ने बताया कि हर्षवर्धन जैन अपने आवास पर बिना किसी सरकारी अनुमति के कथित 'दूतावास' चला रहा था। उसके पास कई देशों के राजदूत व सलाहकार होने के फर्जी पहचान-पत्र और दस्तावेज भी पाए गए हैं। पूछताछ के दौरान उसने कई अन्य लोगों के नाम उजागर किए हैं, जो खुद को विभिन्न विदेशी राष्ट्रों के प्रतिनिधि बताकर काम कर रहे हैं। पुलिस को अब आरोपी को दिल्ली और गुजरात ले जाना है, जहां उसके बताए गए अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर दस्तावेज बरामद किए जाएंगे। इन दस्तावेजों के माध्यम से इस पूरे फर्जीवाड़े के नेटवर्क का खुलासा होने की संभावना है।

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सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

इस मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं, क्योंकि बिना सरकारी अनुमति के किसी प्रकार का राजनयिक प्रतिष्ठान चलाना न केवल भारत की संप्रभुता के खिलाफ है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। पुलिस ने यह भी संकेत दिए हैं कि यह मामला केवल दस्तावेजों की धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे विदेशी संपर्कों की भी जांच की जा रही है।अब सबकी नजर पुलिस रिमांड के दौरान होने वाली पूछताछ और बरामदगी पर टिकी है, जिससे इस फर्जी राजनयिक गिरोह की असलियत सामने आ सके।

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