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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
लोनी थाना क्षेत्र में 23 वर्षीय मूक-बधिर और मानसिक रूप से बीमार युवती की फांसी लगाकर मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। युवती का शव उसके ही घर में फंदे से लटका मिला। परिजनों का कहना है कि 18 अगस्त को युवती के साथ गैंगरेप हुआ था, जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस से की थी। लेकिन अब युवती ने खुदकुशी जैसा कदम उठाकर पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है। परिवार का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही और उदासीनता ने उनकी बेटी की जान ले ली।
गैंगरेप के बाद टूटी हिम्मत
मृतका के परिजनों ने बताया कि युवती मानसिक रोगी और मूक-बधिर थी। इलाज के लिए वह अक्सर दिल्ली ले जाई जाती थी। 18 अगस्त को वह अचानक घर से बिना बताए निकल गई थी और पास के गांव पहुंच गई। इसी दौरान तीन युवकों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। परिवार के अनुसार घटना की जानकारी मिलने पर उन्होंने थाना लोनी में तहरीर दी थी। पुलिस ने मामला दर्ज तो किया, लेकिन कार्रवाई में ढिलाई बरती।
पुलिस पर गंभीर आरोप
परिजनों ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि FIR दर्ज कराने के लिए उन्हें लंबे समय तक चक्कर लगाने पड़े। समय पर मेडिकल जांच भी नहीं कराई गई। इतना ही नहीं, युवती की मौत के बाद उसके शव को एंबुलेंस की बजाय एक टेंपो में ले जाया गया। इससे परिवार का गुस्सा और बढ़ गया है। परिजनों का कहना है कि अगर पुलिस शुरुआत से ही गंभीर होती तो उनकी बेटी आज जिंदा होती।
समाज और परिवार की पीड़ा
एक तरफ जहां गैंगरेप जैसी दर्दनाक घटना ने युवती का जीवन तबाह किया, वहीं पुलिस की लापरवाही ने उसके परिवार के जख्म और गहरे कर दिए। परिवार का कहना है कि मानसिक रूप से बीमार और मूक-बधिर होने के कारण वह खुद अपनी बात ठीक से नहीं रख पाती थी। ऐसे में पुलिस और समाज को और अधिक संवेदनशील होना चाहिए था।
लोगों में आक्रोश
घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह केवल एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि कमजोर वर्ग और विशेष आवश्यकता वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिस की लापरवाही पर जांच की मांग की है।
जांच के घेरे में पुलिस
फिलहाल पुलिस ने युवती की मौत के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह स्पष्ट होगी। वहीं आरोपियों की तलाश जारी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब मामला गैंगरेप से जुड़ा था और पीड़िता मानसिक रूप से बीमार थी, तब पुलिस को और तेजी व संवेदनशीलता से कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए थी।
सिस्टम पर सवाल
गाजियाबाद की यह घटना समाज और सिस्टम दोनों पर सवाल खड़े करती है। एक मूक-बधिर और मानसिक रूप से कमजोर युवती पहले गैंगरेप का शिकार बनी और फिर इंसाफ की उम्मीद टूटने पर उसने अपनी जान ले दी। अब यह देखना होगा कि क्या पुलिस और प्रशासन इस मामले में सख्ती दिखाकर पीड़ित परिवार को न्याय दिला पाते हैं या यह मामला भी केवल आंकड़ों में दर्ज होकर रह जाएगा।