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फाइल फोटो।
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। आमजन की सेहत से खिलवाड़ करने वाले नकली जीवन रक्षक दवाओं का कारोबार गाजियाबाद में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इस अवैध व्यापार से जुड़े लोग इतने बेखौफ हो चुके हैं कि अब उनमें कानून या प्रशासन का कोई भय नहीं रह गया है। जानकारों का कहना है कि नकली दवाओं के कारोबारी अपनी पहुंच शासन, प्रशासन और पुलिस विभाग तक बना चुके हैं, जिस कारण कार्रवाई के बाद भी प्रकरण अक्सर ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं।
कई संगीन मामले
औषधि विभाग के सूत्रों के अनुसार, गाजियाबाद की दवा मंडी — नई बस्ती स्थित शिवा फार्मास्युटिकल्स — से करोड़ों रुपये मूल्य की नकली दवाओं की आपूर्ति का मामला सामने आया था। इनमें चाइल मोरल फोर्ट (जो कि मोदीनगर से खरीदी गई थी) और टेलमा (जो लखनऊ से खरीदी गई थी) जैसी जीवन रक्षक दवाओं की नकली खेप पकड़ी गई थी। इन दवाओं की सप्लाई पूरे प्रदेश में की जा रही थी, लेकिन कुछ समय बाद मामला ठंडा पड़ गया।यह भी सामने आया है कि औषधि विभाग में मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया लंबे समय तक अनियमित रही। साल 2017 से पहले तक लाइसेंस जारी करने या नवीनीकरण के लिए कोई ऑनलाइन रिकॉर्ड प्रणाली नहीं थी। इस बीच कई मेडिकल स्टोरों ने वर्षों तक बिना वैध लाइसेंस के ही कारोबार जारी रखा।
मजबूत होता नेटवर्क
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मोदीनगर के जिस मेडिकल स्टोर से नकली दवा खरीदी गई, उसका संचालक हिमालया कंपनी में कार्यरत है। उसने अपने नाम से मेडिकल स्टोर का लाइसेंस लिया और उसी के माध्यम से संदिग्ध दवाओं का व्यापार किया।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक औषधि विभाग में सख्ती नहीं बढ़ेगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह नेटवर्क और मजबूत होता जाएगा। नकली जीवन रक्षक दवाओं का यह खेल सीधे जनता की जान से खिलवाड़ है, और इसकी अनदेखी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
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