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फाइल फोटो
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
जिले के मुरादनगर क्षेत्र से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पुलिस और स्थानीय समाज दोनों को हिला दिया। एलएलबी की छात्रा ने हिंदू युवा वाहिनी के नगर अध्यक्ष बताने वाले युवक सुशील प्रजापति पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया था। पीड़िता का कहना है कि आरोपी ने उसे नामी वकील के पास प्रैक्टिस कराने का झांसा दिया और इसी बहाने उसे अपने जाल में फंसाया। इस दौरान उसने छात्रा को नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया।
जिला अध्यक्ष की तलाश
पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की। लेकिन घटना के उजागर होने के बाद से ही आरोपी सुशील प्रजापति फरार हो गया। पुलिस की कई टीमें लगातार उसकी तलाश में दबिश दे रही थीं, मगर वह गिरफ्त से दूर रहा। इस बीच डीसीपी ग्रामीण ने आरोपी की गिरफ्तारी में मदद करने वाले को 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। पुलिस की सक्रियता और दबाव के चलते आखिरकार आरोपी ने गाजियाबाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
पीड़िता के आरोप
छात्रा ने अपने बयान में बताया कि वह कानून की पढ़ाई कर रही है और भविष्य में एक नामी वकील के अधीन प्रैक्टिस करना चाहती थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात सुशील प्रजापति से हुई, जिसने खुद को हिंदू युवा वाहिनी का नगर अध्यक्ष बताया। आरोप है कि उसने अपनी पहचान और प्रभाव का हवाला देकर पीड़िता का विश्वास जीता और उसे एक वरिष्ठ वकील से मिलवाने का झांसा दिया। इस बहाने उसने छात्रा को नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया।
पुलिस की कार्रवाई
मामला दर्ज होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी। 12 दिन तक लगातार फरार रहने के दौरान पुलिस की टीमें दिल्ली-एनसीआर समेत कई जगहों पर दबिश देती रहीं। डीसीपी ग्रामीण की ओर से आरोपी पर इनाम घोषित करना इस बात का सबूत था कि पुलिस इस मामले को लेकर कितनी गंभीर थी। अंततः दबाव में आकर आरोपी ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
समाज और कानून पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना भर नहीं है, बल्कि समाज और युवाओं के लिए एक चेतावनी भी है। जब कोई व्यक्ति संगठन या पद का नाम लेकर अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करता है, तो वह न केवल कानून का उल्लंघन करता है बल्कि सामाजिक विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है। इस तरह की घटनाएँ महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती हैं।
आगे की कार्यवाही
फिलहाल आरोपी को पुलिस हिरासत में लिया गया है और कोर्ट से आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पुलिस का कहना है कि पीड़िता के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मामले की जांच तेजी से की जाएगी ताकि दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके।
पुलिस का दबाव
गाजियाबाद का यह मामला एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करता है कि सत्ता, पद और संगठनों का नाम लेकर अपराध करने वाले अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। पीड़िता को न्याय दिलाना न केवल कानून की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर बड़ा आक्रोश पैदा किया है और लोग चाहते हैं कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई भी युवा अपनी पहचान या संगठन का दुरुपयोग कर इस तरह का घिनौना अपराध करने की हिम्मत न कर सके।