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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शहर में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का भव्य आयोजन हुआ। शहर के कोने-कोने में तिरंगा लहराया गया, जगह-जगह ध्वजारोहण हुए और देशभक्ति के गीतों से वातावरण गूंज उठा। प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक इस ऐतिहासिक दिन का हिस्सा बने। हर जगह तिरंगे की शान और आज़ादी की गूंज दिखाई दी। लेकिन यह उत्साह और गर्व अगले ही दिन फीका पड़ गया जब राष्ट्रीय ध्वज के अपमान की तस्वीरें सामने आईं।गाजियाबाद के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित श्यामा मुखर्जी पार्क में 205 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया था। यह तिरंगा वहां की पहचान और गर्व का प्रतीक माना जाता है। लेकिन 15 अगस्त के महज 24 घंटे बाद ही यह झंडा सम्मान से नहीं लहरा रहा था, बल्कि पेड़ों में उलझा हुआ और जमीन से सटा दिखाई दिया। दृश्य बेहद दुखद और शर्मनाक था। यह केवल झंडे का अपमान नहीं, बल्कि उन शहीदों की कुर्बानी का भी अपमान है, जिन्होंने तिरंगे की शान के लिए प्राण न्योछावर कर दिए।
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नगर निगम की लापरवाही
श्यामा मुखर्जी पार्क का यह तिरंगा नगर निगम की देखरेख में है। इस झंडे को नियमित रूप से फहराए रखना और उसकी देखभाल करना नगर निगम की जिम्मेदारी है। लेकिन तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि नगर निगम ने अपने दायित्व की अनदेखी की। राष्ट्रीय पर्व के अगले ही दिन अगर तिरंगा पेड़ों में फंसा मिला तो सवाल उठना लाजमी है—इसकी निगरानी कौन कर रहा था. गौरतलब है कि 205 फीट ऊंचे झंडे के रख-रखाव के लिए खास इंतजाम की जरूरत होती है। मौसम, हवा और बारिश का प्रभाव इस पर सीधा पड़ता है। ऐसे में नगर निगम का यह तर्क नहीं चल सकता कि झंडा प्राकृतिक कारणों से नीचे गिर गया। सवाल यह है कि अगर झंडा पेड़ों में लटक गया तो उसकी तुरंत सुध क्यों नहीं ली गई?
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राष्ट्रीय गौरव से खिलवाड़
भारत का राष्ट्रीय ध्वज केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि देश की आन-बान-शान का प्रतीक है। इसके प्रति सम्मान और आदर रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। तिरंगे के अपमान को लेकर भारत सरकार ने स्पष्ट नियम बनाए हैं, जिनका उल्लंघन होने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे में जब सार्वजनिक स्थल पर लगे ध्वज की इस तरह से दुर्दशा हो और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहें, तो यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव से खिलवाड़ भी है।
जनता की नाराजगी
श्यामा मुखर्जी पार्क में आने-जाने वाले लोग और आसपास के क्षेत्र के नागरिक इस घटना से बेहद आहत हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडे को लेकर दिखावा किया जाता है, लेकिन बाकी दिनों में उसकी देखभाल तक नहीं होती। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी है कि नगर निगम को बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
महापौर और नगर आयुक्त
अब बड़ा सवाल यह है कि इस घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा? नगर निगम, महापौर या प्रशासन—किस पर कार्रवाई होगी? यह देखना जरूरी होगा कि क्या अधिकारी केवल बयानबाज़ी तक सीमित रहते हैं या वास्तव में तिरंगे के सम्मान की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाते हैं। यह घटना नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
आगे की राह
जरूरत इस बात की है कि गाजियाबाद नगर निगम इस मामले को गंभीरता से ले। राष्ट्रीय ध्वज के रख-रखाव के लिए विशेष दल का गठन किया जाए, जो समय-समय पर झंडे की स्थिति की जांच करे। अगर झंडा किसी कारणवश खराब होता है या जमीन से छू जाता है तो तत्काल उसे हटाकर नए झंडे से बदल दिया जाए। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो। गाजियाबाद में 205 फीट ऊंचे तिरंगे का अपमान केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा सवाल है। स्वतंत्रता दिवस के जश्न के अगले ही दिन अगर तिरंगा सम्मान से नहीं लहरा रहा, तो यह हमारे लिए शर्म की बात है। अब जिम्मेदारी नगर निगम और प्रशासन पर है कि वे तिरंगे की शान को बहाल करें और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।