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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक असामाजिक तत्व द्वारा मस्जिद की दीवार पर "हिंदुत्व" से जुड़ा पोस्टर चिपकाकर सोशल मीडिया पर एक रील साझा की गई है। यह कृत्य न केवल सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की एक निंदनीय कोशिश है, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव और हिंसा भड़काने की घिनौनी साज़िश भी है। इस तरह की घटनाएं देश की सामाजिक संरचना और गंगा-जमुनी तहज़ीब पर आघात करती हैं।
बहु सांस्कृतिक राष्ट्र
भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश है, जहां सभी समुदायों ने मिलकर आज़ादी की लड़ाई लड़ी और देश की तरक्की में योगदान दिया है। ऐसे में कुछ शरारती तत्वों द्वारा सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिशें, न केवल संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं, बल्कि इंसानियत के भी विरुद्ध हैं। धार्मिक स्थलों का उपयोग राजनीतिक या सांप्रदायिक उद्देश्यों के लिए करना एक गंभीर अपराध है, और इसका सीधा असर समाज के शांतिपूर्ण ताने-बाने पर पड़ता है।
सुनियोजित सोची समझी साजिश
इस घटना में जिस प्रकार जानबूझकर मस्जिद की दीवार को चुना गया और फिर उस पर पोस्टर चिपकाकर सोशल मीडिया पर वीडियो साझा किया गया, वह इस बात का संकेत है कि यह कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक सुनियोजित और सोची-समझी साजिश है। इस कृत्य का उद्देश्य स्पष्ट रूप से दो समुदायों के बीच अविश्वास और घृणा को जन्म देना है। यह अत्यंत आवश्यक है कि पुलिस प्रशासन इस वीडियो की प्रामाणिकता की गहन जांच करे, संबंधित स्थान की शीघ्र पहचान करे और दोषी व्यक्ति को कानून के तहत कड़ी सज़ा दिलाए। ऐसे मामलों में ढिलाई बरतना भविष्य में और बड़ी घटनाओं का कारण बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों और उकसावे भरे संदेशों पर भी नजर रखे, ताकि कोई भी व्यक्ति समाज में ज़हर घोलने में सफल न हो सके।
शांति भाईचारा हमारी जिम्मेदारी
साथ ही, यह आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे किसी भी प्रकार की भड़काऊ सामग्री को साझा न करें, और ऐसी गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें। धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वालों को समाज में स्थान नहीं मिलना चाहिए। शांति और भाईचारे को बनाए रखना केवल सरकार की नहीं, बल्कि हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। समाज को विभाजित करने वाली ताकतों के विरुद्ध एकजुट होकर खड़ा होना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। धर्मों का आदर करना, एक-दूसरे की आस्थाओं का सम्मान करना और मिलजुलकर रहना ही भारत की असली पहचान है। नफरत फैलाने वाले चाहे जिस भी समुदाय से हों, उन्हें क़ानून के कठघरे में लाना ही न्याय और शांति की दिशा में पहला कदम होगा।
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