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शराब और कबाब
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
सावन माह में आयोजित कांवड़ यात्रा को लेकर गाजियाबाद जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क और सक्रिय नजर आ रहा है। शिवभक्तों की भावनाओं और धार्मिक आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने शहर के प्रमुख मार्गों पर विशेष दिशा-निर्देश लागू कर दिए हैं। खासकर उन रास्तों पर जहां से भारी संख्या में कांवड़ यात्रा गुजरती है, वहां आसपास मौजूद शराब और मांस की दुकानों को लेकर कड़े कदम उठाए गए हैं।
कावड़ मार्ग पर सख्ती
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रशासन ने कांवड़ मार्ग पर आने वाली सभी शराब की दुकानों पर बड़े पर्दे डालने के आदेश दिए हैं, जिससे धार्मिक यात्रा में हिस्सा ले रहे श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत न हों। ये पर्दे पूरी तरह से दुकान को ढकते हैं ताकि यात्रा के दौरान कुछ भी आपत्तिजनक न दिखाई दे। शराब दुकानदारों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इस अवधि में किसी भी प्रकार का प्रचार, शोर-शराबा या खुले में बिक्री नहीं करेंगे।
मांस मछली प्रतिबंध
वहीं, मांस-मछली की दुकानों को लेकर प्रशासन ने और अधिक कठोर रुख अपनाया है। इन दुकानों को कांवड़ मार्ग से पूरी तरह हटा दिया गया है या अस्थायी रूप से बंद करवा दिया गया है। जिन दुकानों को हटाना संभव नहीं था, उन्हें कांवड़ यात्रा की अवधि तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। कई स्थानों पर ऐसे प्रतिष्ठानों पर पुलिस बल की तैनाती भी की गई है ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
जिला प्रशासन सतर्क
नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की संयुक्त निगरानी में इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। नगर आयुक्त और संबंधित क्षेत्र के थानाध्यक्ष स्वयं मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे हैं। धर्म और आस्था को प्राथमिकता देते हुए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी गतिविधि श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए।
सकारात्मक प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों और दुकानदारों की ओर से भी प्रशासन के इस फैसले को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। कई दुकानदारों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें बंद रखीं या पर्दे लगाने की पहल की। हालांकि कुछ व्यापारियों ने प्रारंभ में आपत्ति जताई थी, लेकिन प्रशासन की सख्ती और यात्रा की पवित्रता को देखते हुए वे भी सहयोग के लिए तैयार हो गए।
मर्यादित फैसला
इस बार की कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के अनुमान को देखते हुए सुरक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक मर्यादाओं को बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता में है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कांवड़ यात्रा के रास्ते पर ‘पर्दे में है शराब और गायब है कबाब’। धार्मिक भावनाओं के सम्मान और सामाजिक समरसता की दिशा में यह एक अनुकरणीय प्रयास कहा जा सकता है।