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एसीपी प्रियाश्री पाल से खास मुलाक़ात
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
संक्षिप्त परिचय
2018 बैच की पीपीएस अधिकारी प्रियश्री पाल का जन्म 2 जून 1989 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुआ था। वर्तमान में वह गाजियाबाद वेव सिटी की एसीपी के पद पर तैनात हैं। अपने सख्त लेकिन संवेदनशील स्वभाव के कारण प्रियश्री पाल जनता के बीच एक आदर्श महिला पुलिस अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं।हमने डीसीपी प्रियश्री पाल से विशेष बातचीत की, जिसमें उन्होंने मिशन शक्ति अभियान, महिलाओं की सुरक्षा, और पुलिसिंग में संवेदनशीलता पर अपने विचार साझा किए।डीसीपी प्रियश्री पाल का कार्यशैली और सोच दोनों ही समाज में एक नई दिशा दे रहे हैं। मिशन शक्ति अभियान के माध्यम से वह न केवल महिलाओं को सुरक्षा दे रही हैं, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी बना रही हैं। उनका मानना है कि—"महिला सिर्फ घर की जिम्मेदारी नहीं निभाती, वह समाज की दिशा भी तय करती है।"
सवाल - इन दिनों मिशन शक्ति अभियान पुलिस द्वारा चलाया जा रहा है, इस संबंध में थोड़ा विस्तार से बताइए?
जवाब -तेजतर्रार एसीपी प्रियश्री पाल का कहना है कि “महिलाओं का जागरूक होना बेहद जरूरी है। छोटी बच्चियों को मालूम होना चाहिए कि उनके कानूनी अधिकार क्या हैं। खासतौर पर पढ़ाई के दौरान स्कूल जाते या लौटते समय बच्चियों को अक्सर कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जितने भी फास्ट डायलिंग हेल्पलाइन नंबर हैं, जैसे 1090, 112, 181, आदि — वह बच्चियों को मुंह ज़बानी याद होने चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे तुरंत पुलिस से संपर्क करें और उन्हें तत्काल सहायता मिल सके।”
सवाल - घरेलू हिंसा महिलाओं के लिए हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है, एक महिला पुलिस अधिकारी के नाते आप इसे किस तरह से देखती हैं?
जवाब -प्रियश्री पाल ने कहा, “सामाजिक सोच और दृष्टिकोण में बदलाव में हमेशा समय लगता है, लेकिन अगर आज हम प्रयास करेंगे तो कुछ वर्ष बाद ये प्रयास निश्चित ही रंग लाएंगे। आज भी कई बार देखा जाता है कि पति द्वारा पत्नी को पीटने की घटना को समाज सामान्य मान लेता है। यह सोच गलत है। पत्नी या कोई भी महिला हिंसा सहने के लिए नहीं बनी है। उसकी सामाजिक सुरक्षा, आत्मसम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करना समाज और पुलिस—दोनों की जिम्मेदारी है। मिशन शक्ति में इन पहलुओं पर खास ध्यान दिया जा रहा है।”
सवाल - पुलिस और जनता के बीच बेहतर तालमेल कैसे बनाया जा सकता है, ताकि महिलाएं निर्भीक होकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें?
जवाब -एसीपी प्रियश्री पाल कहती हैं, “जनता और पुलिस के बीच भरोसे का पुल बनाना बहुत जरूरी है। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि हर थाने में महिला हेल्प डेस्क को और अधिक सक्रिय किया जाए। महिला पुलिसकर्मियों को संवेदनशीलता के साथ काम करने की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि शिकायत लेकर आने वाली महिलाओं को किसी तरह की झिझक या डर महसूस न हो। इसके साथ ही, हम स्कूलों, कॉलेजों और आरडब्ल्यूए में जाकर महिला सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहे हैं।”
सवाल - क्या डिजिटल युग में महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर भी कोई विशेष पहल की जा रही है?
जवाब -उन्होंने बताया, “आज के समय में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर महिलाओं के खिलाफ। इसलिए हमने ‘ऑनलाइन सुरक्षा जागरूकता अभियान’ शुरू किया है, जिसमें युवतियों को सोशल मीडिया पर सतर्क रहने, अपनी निजी जानकारी साझा न करने और किसी भी साइबर धमकी या उत्पीड़न की स्थिति में तुरंत रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हमारा साइबर सेल ऐसी शिकायतों पर तत्काल एक्शन लेता है।”
सवाल - आप युवतियों और महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
जवाब -प्रियश्री पाल मुस्कुराते हुए कहती हैं, “डरना नहीं, बोलना सीखिए। अगर कोई आपको परेशान करता है तो चुप न रहें। आपकी चुप्पी ही अपराधी की ताकत बन जाती है। कानून आपके साथ है, पुलिस आपके साथ है। खुद पर भरोसा रखिए, क्योंकि सशक्त महिला ही सशक्त समाज की नींव होती है।”
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