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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
व्यस्त घंटाघर कोतवाली क्षेत्र गत 22 जून की रात दबंगों ने एक दलित परिवार को निशाना बनाते हुए घर में घुसकर जानलेवा हमला किया। घटना सीसीटीवी कैमरे में दर्ज है, जिसमें दिखाई पड़ता है कि लगभग आधा दर्जन बदमाश धारदार हथियार और लोहे की रॉड से लैस होकर गाड़ियों में तोड़फोड़ करते हुए परिसर में घुसते हैं। अराजक तत्वों ने दो सदस्यों—बनारसी (65) और मजीद (28)—पर बर्बरता से वार किया; दोनों को चाकू से घायल अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ मजीद की हालत अभी भी नाज़ुक है। इस मामले में अब तक कोई विशेष कार्रवाई पुलिस द्वारा नहीं की गई जिसके बाद पीड़ित एससी/ एसटी आयोग के समक्ष प्रस्तुत हो गया। पूरे मामले में आयोग ने कल रूप अपनाते हुए गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है।
15 दिन की मोहलत
आयोग ने नोटिस में स्पष्ट तौर पर लिखा कि यह मामला बेहद गंभीर है और पुलिस ने अब तक जो भी कार्रवाई की है वह आगामी 15 दिन के अंदर स्वयं अथवा किसी माध्यम से आयोग के सामने पेश करें। इस नोटिस में सीधा आदेश और चेतावनी भी स्पष्ट रूप से है जहां कहा गया है कि अगर 15 दिन में नोटिस का जवाब संवैधानिक रूप से नहीं दिया जाता है तो आयोग न्यायालय द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग करेगा।
लेट लतीफ पुलिस
एसएचओ कोतवाली ने मीडिया को बताया, “तीन टीमें दबिश दे रही हैं; जल्द ही मुख्य आरोपी सलाखों के पीछे होंगे।” किंतु पीड़ित परिवार का आरोप है कि दबंगों के स्थानीय रसूख के कारण दबाव में धीमी कार्रवाही हो रही है। पड़ोसी साक्षी चंचल गौतम ने कहा, “हमने 112 पर कई बार फोन किया, सहायता देर से पहुँची, तब तक हमला हो चुका था।” घटना-स्थल से पुलिस को टूटी हुई गाड़ियों, खून से सने कपड़े और चाकू बरामद हुए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना की निंदा करते हुए मांग की कि अपराधिक धाराओं में एससी/एसटी एक्ट जोड़ा गया है और आरोपी पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाए। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की चुनौती को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने में छुपे जातीय विद्वेष की भी कड़वी सच्चाई सामने लाती है। जब तक दोषी गिरफ्तार नहीं होते और पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता, तब तक गाजियाबाद पुलिस पर लगे ‘ढीली धरपकड़’ के आरोपों को शांत करना मुश्किल होगा।
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