गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद जिले के मसूरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला नाहल गांव, उत्तर प्रदेश की आपराधिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थान बन चुका है। यह गांव पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बन गया है, जहां से संगठित अपराध और अपराधियों की गतिविधियां निरंतर सामने आती रही हैं। यही कारण है कि देहरादून के आठ थानों की पुलिस की तैनाती यहां की जमीनी हकीकत को दर्शाती है।
अपराधिक रिकॉर्ड
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, नाहल गांव से पिछले पांच महीनों में ही तीन दर्जन से अधिक हिस्ट्रीशीटर बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इन अपराधियों पर लूट, झपटमारी, फिरौती, अवैध वसूली और हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं। खास बात यह है कि इनकी सक्रियता केवल गाजियाबाद तक सीमित नहीं रही, बल्कि एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और पश्चिम उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों में भी इनका आतंक बना हुआ था।
हिस्ट्रीशीटरों का अड्डा
मसूरी थाने के आंकड़े इस गांव की स्थिति को और भी स्पष्ट करते हैं। वर्तमान में गांव में 39 हिस्ट्रीशीटर और गैंगबंद अपराधी पुलिस की नजर में हैं। इसके अलावा, 44 ऐसे लुटेरे हैं जिन्होंने गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा, बुलंदशहर आदि क्षेत्रों में लूटपाट और छीनाझपटी की घटनाओं को अंजाम दिया है। इनमें से 12 लुटेरे ऐसे हैं जो बीते छह माह में अपराध करने के बाद गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं।
सक्रिय अपराधी
गांव में सक्रिय 32 गैंगस्टर अपराधियों में से 12 इस समय जेल में हैं, जबकि बाकी या तो जमानत पर बाहर हैं या फरार चल रहे हैं। इन अपराधियों की गिरफ्तारी और निगरानी के लिए मसूरी पुलिस लगातार विशेष अभियान चला रही है। पुलिस ने डेढ़ वर्ष के भीतर गांव के 12 कुख्यात अपराधियों को जिला बदर भी किया है, जिससे गांव में अपराधियों के हौसले कुछ हद तक पस्त हुए हैं।
खतरनाक स्थिति
गांव में अपराध की जड़ें इतनी गहराई तक फैली हुई हैं कि बच्चों और युवाओं तक को अपराध की ओर आकर्षित किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस की मानें तो कुछ शातिर अपराधी युवाओं को पैसों का लालच देकर अपने गिरोह में शामिल करते हैं। यही कारण है कि मसूरी थाना क्षेत्र में पुलिस की सक्रियता बढ़ी है और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए लगातार दबिश और छापेमारी की जा रही है।
जागरूकता एवं पुनर्वास
अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रशासन को केवल कार्रवाई ही नहीं, बल्कि पुनर्वास और जनजागरूकता जैसे कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है। शिक्षा, रोजगार और सामाजिक मार्गदर्शन के ज़रिये युवाओं को अपराध की दुनिया से बाहर निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए।