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अपहरण करता गैंग
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
पुलिस ने एक ऐसे संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो बच्चों का अपहरण कर उन्हें बिना संतान वाले कपल को बेचने का धंधा कर रहा था। इस गिरोह के तार मुरादाबाद, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और शामली तक फैले हुए थे। पुलिस की कार्रवाई में दो महिलाओं समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए आरोपियों में प्रेम नगर लोनी निवासी नावेद, पूजा कॉलोनी निवासी अफसर, अंकित विहार मुजफ्फरनगर निवासी संध्या और शामली निवासी स्वाति शामिल हैं।
खतरनाक योजना
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह गिरोह बच्चों को अगवा करने से पहले उनकी रेकी करता था। वे स्कूल, खेल के मैदान, अस्पताल और कॉलोनियों में बच्चों पर नजर रखते थे। बच्चे का लिंग, रंग और उम्र नोट करने के बाद उसकी तस्वीर खींचकर गिरोह के एक व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजी जाती थी। इस ग्रुप में ऐसे लोग जुड़े थे जो बच्चों की "ऑन डिमांड" सप्लाई करने का काम करते थे। बच्चों की डील उनकी पहचान और मांग के आधार पर तय होती थी। एक बच्चा ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक में बेचा जाता था। खासकर ऐसे कपल जो संतानविहीन थे, उन्हें निशाना बनाकर ये गिरोह बच्चों को "गोद" देने के नाम पर बेचता था।
शामिल स्वास्थ्यकर्मी
गिरोह की खास बात यह थी कि इसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग भी शामिल थे। मुरादाबाद के एक अस्पताल की नर्स और बिजनौर की एक आशा वर्कर इस नेटवर्क का हिस्सा थीं। अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले ये लोग जन्म लेने वाले या अनाथ हो चुके बच्चों की जानकारी गिरोह को देते थे, ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी बाजार में उतारा जा सके।
पुलिस ने दबोचा
एसीपी लोनी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि पुलिस को बच्चों के अपहरण और बिक्री से जुड़े इनपुट मिले थे। इसके बाद पुलिस टीम ने जाल बिछाकर आरोपियों को पकड़ा। चारों से पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह कई महीनों से सक्रिय था और अब तक कई बच्चों की बिक्री कर चुका है। हालांकि, पुलिस अभी तक बेचे गए बच्चों की सही संख्या का खुलासा नहीं कर पाई है।
गंभीर सामाजिक खतरा
बच्चों की तस्करी न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा है। ऐसे मामलों में बच्चों का भविष्य पूरी तरह बर्बाद हो जाता है। कई बार ये बच्चे अवैध कामों, बाल मजदूरी या यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे नेटवर्क का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए बहुस्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई जरूरी है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन, व्हाट्सएप चैट और अन्य डिजिटल सबूत कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिए हैं। पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस नेटवर्क के तार कई राज्यों में फैले हो सकते हैं। एसीपी लोनी का कहना है कि ऐसे मामलों में सिर्फ गिरफ्तारियां काफी नहीं हैं, बल्कि पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए विस्तृत जांच और निगरानी जरूरी है। समाज को भी सतर्क रहना होगा और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत पुलिस को सूचना देनी होगी।
रहें सावधान
गाजियाबाद में उजागर हुआ यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति हमें और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े अपराध को रोक दिया है, लेकिन जब तक ऐसे सभी गिरोहों का सफाया नहीं होता, तब तक बच्चों की सुरक्षा पर खतरा बना रहेगा।
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