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Crime: पुलिस ने गाजियाबाद में पकड़ा दिल्ली वालों का सट्टा, एक रूपया लगाओ, 80 पाओ

दिल्ली के नाम पर सट्टेबाजी। वो भी तख्ती लगाकर और चोड़े में चिल्ला-चिल्लाकर। ऐसा खुलासा किया है पुलिस ने। हाइटेक सट्टेबाजों के शहर में इस तरह की हरकत चौंकाने वाली है। वो भी वहां जहां ढाई दशक पहले कप्तान रहे DGP प्रशांत कुमार ने 55 लाख की कैश बरामदगी की हो।

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Rahul Sharma
ghaziabad SATTA
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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जिस जिले में करीब ढाई दशक पहले सट्टेबाज गैंग से 55 लाख कैश की बरामदगी हुई हो। वो बरामदगी भी सूबे के डीजीपी प्रशांत कुमार के एसएसपी गाजियाबाद रहते उनके कार्यकाल में हुई हो, वहां अगर आज भी सट्टेबाजी तख्ती लेकर खुलेआम हो रही है तो खबर भी बनती है और सवाल भी उठता है। गाजियाबाद के सिटी जोन की पुलिस ने एक ऐसे ही सट्टेबाज को गिरफ्तार करने का दावा किया। जो हाथ में तख्ती लेकर बाकायदा लोगों को लुभा रहा था। 

ये है मामला 

विजयनगर थाने की पुलिस ने गश्त के दौरान एक शख्स को पकड़ा। पकड़े गए युवक का नाम विनीत था। पूछताछ में उसने बताया कि वो मूल रूप से दिल्ली के खजूरी इलाके का रहने वाला है। फिलहाल विजयनगर इलाके के शिवपुरी मुहल्ले में रह रहा है। पुलिस ने उसके पास से एक दफ्ती बरामद की। 950 रुपये मिले और एक पैन मिला। पुलिस ने उसे जुआ अधिनिधियम में गिरफ्तार कर लिया।

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ये है पुलिस की कहानी

इस मामले में कुछ भी खास नहीं है। यदि है तो पुलिस की वो कहानी जो पुलिस ने फर्द बरामदगी में दर्ज की है। गिरफ्तारी करने वाले दरोगा ने लिखा है कि गश्त के दौरान जब वो गश्त कर रहे थे तो एक शख्स उन्हें आवाज लगाता मिला। हाथ में एक दफ्ती लेकर चिल्ला रहा था कि एक लगाओ, 80 पाओ, ये दिल्ली वालों का सट्टा है। इतना ही नहीं दरोगाजी ने ये भी सुना कि जल्दी आओ, जल्दी पाओ। पुलिस ने जुआ अधिनियम के तहत उसे गिरफ्तार किया। लोगों से गवाही देने को कहा। मगर कोई तैयार नहीं हुआ।

सवाल है तो पूछेंगे

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पुलिस की गिरफ्तारी पर सवाल नहीं है। सट्टेबाज होगा। पकड़ लिया होगा। लेकिन सवाल इस बात का है कि जिस शहर में करोड़ों का सट्टा हाईटेक तरीके से लगता हो। जिस सट्टेबाजी में शहर की नामचीन हस्तियां, रसूखदार, नेता, जनप्रतिनिधि और व्यापारी तक शामिल रहते हों, वहां क्या आज भी इस तरह की सट्टेबाजी पर पुलिस की कार्रवाई अंकुश लगाने को काफी है ?

जिला पुलिस के रिकॉर्ड में भरमार

जिला पुलिस के रिकॉर्ड में सट्टा माफियाओं की पूरी लिस्ट है। हालाकि चर्चा तो ये है कि थाना और चौकी स्तर पर सट्टेबाजों से पुलिस के कुछ कर्मचारी वसूली भी करते हैं। मगर, सवाल ये है कि उन बड़ी मछलियों की बजाय इस तरह की कार्रवाईयों से क्या कमिश्नरेट पुलिस सट्टेबाजी को खत्म करा रही है, या महज औपचारिका कर रही है।

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2002 में पुलिस ने बरामद की थी 55 लाख नगदी

सूबे के वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार गाजियाबाद में बतौर एसएसपी के रूप में रिकॉर्ड पारी खेल चुके हैं। गाजियाबाद एसएसपी के रूप में न तो उनके कार्यकाल का रिकॉर्ड कोई तोड़ सका, न उनके कार्यकाल में बदमाशों को मार गिराने का रिकॉर्ड आज तक टूटा है। ये इत्तेफाक ही है कि उन्हीं के कार्यकाल में गाजियाबाद के दिल्ली से सटे पॉश इलाके चंद्र नगर से पकड़े गए सट्टेबाजों के एक गैंग से 55 लाख रुपये की नगद बरामदगी हुई थी जो एक रिकॉर्ड है। बावजूद इसके करीब ढाई दशक बाद कमिश्नरेट व्यवस्था में सट्टेबाजों के खिलाफ पुलिस की इस तरह की मुहिम सवाल उठाने वाली है।

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