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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद सहित देशभर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अपराधी अब केवल मोबाइल या ई-मेल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी दुरुपयोग कर रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर ये ठग इतनी आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा कैसे लेते हैं? इसका सीधा जवाब है – कच्चा लालच और कानून को लेकर अज्ञानता।
मनोवैज्ञानिक कमजोरी
साइबर अपराधियों की सबसे बड़ी ताकत है आम आदमी की मनोवैज्ञानिक कमजोरी – लालच और डर। ठग अक्सर लोगों को लॉटरी लगने, इनाम जीतने, बैंक खाते बंद होने, या फिर कोई कानूनी कार्यवाही होने जैसी बातों से डराते हैं। लोगों के मन में पैसा पाने की लालसा और परेशानी से बचने का डर इस हद तक होता है कि वे बिना सोचे-समझे ठगों की बातों में आ जाते हैं।
पेशेवर अपराधी
इन अपराधियों की रणनीति बहुत ही पेशेवर होती है। वे आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स को ध्यान से खंगालते हैं – आपकी पोस्ट, स्टेटस, प्रोफाइल पिक्चर, लोकेशन टैग्स और आपकी आर्थिक या सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करते हैं। इसके आधार पर वे अपने शिकार का चुनाव करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से महंगी चीजों या विदेश यात्रा की तस्वीरें साझा करता है, तो ठग मान लेते हैं कि यह व्यक्ति संपन्न है और आसानी से जाल में फंस सकता है। वहीं, बुजुर्गों, महिलाओं और तकनीकी ज्ञान से दूर रहने वाले लोगों को भी प्राथमिकता दी जाती है।
जानकारी का अभाव
एक और महत्वपूर्ण कारण है – लोगों में साइबर अपराध और सरकारी प्रक्रियाओं को लेकर जानकारी का अभाव। आम लोग नहीं जानते कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ओटीपी या बैंक डिटेल्स नहीं मांगती। पुलिस या अदालतों की प्रक्रिया भी तयशुदा और लिखित होती है, डराने-धमकाने वाली नहीं।ठगों से बचने का सबसे कारगर उपाय है – लालच से दूर रहना और सतर्क रहना। यदि कोई फोन कॉल, मैसेज या ईमेल आपको इनाम, स्कीम या कानूनी कार्रवाई के नाम पर डराता है, तो पहले उसे ठंडे दिमाग से सोचें और किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें।
डिजिटल साक्षरता आवश्यक
इसके साथ ही, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना भी बेहद जरूरी है। बच्चों, बुजुर्गों और ग्रामीण आबादी को साइबर सुरक्षा के मूलभूत नियम सिखाने चाहिए – जैसे कि ओटीपी शेयर न करना, अज्ञात लिंक पर क्लिक न करना, और सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करना।पुलिस को भी चाहिए कि वह कानूनी कार्रवाई से आगे बढ़कर जागरूकता अभियान चलाए, ताकि अपराधियों की जड़ यानी अज्ञानता और लालच को खत्म किया जा सके। जब तक आम लोग सतर्क नहीं होंगे, साइबर ठग अपने मंसूबों में सफल होते रहेंगे।
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