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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में बीते 24 घंटे महिला सुरक्षा के लिए बेहद चिंता बढ़ाने वाले साबित हुए। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे प्रमुख नारे के साथ मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाली सरकार के बावजूद ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है। पिछले एक दिन में तीन अलग-अलग क्षेत्रों से महिला एवं बालिका उत्पीड़न के गंभीर मामले सामने आए, जिनसे साफ है कि जिले में महिलाएँ खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहीं।
केस 1:
घर में घुसकर डिजिटल रेप का प्रयास
पहला मामला विजयनगर थाना क्षेत्र से सामने आया, जहाँ मनचले युवक ने हद पार करते हुए घर में घुसकर युवती से डिजिटल रेप की वारदात को अंजाम दिया। पीड़िता के विरोध करने पर आरोपी ने न केवल उसके साथ, बल्कि उसकी छोटी बहन को भी अपमानित किया। परिवार के अनुसार, आरोपी शाहनवाज करीब एक वर्ष से पीड़िता का पीछा कर रहा था और अक्सर रास्ते में रोककर छेड़छाड़ करता था। सिद्धार्थ विहार में नौकरी करने वाली युवती रोजाना कबूतर चौक स्थित केला भट्टा से गुजरती थी, जहाँ से उसने युवती को निशाना बनाना शुरू कर दिया। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन घटना ने इलाके की महिलाओं में भय का माहौल पैदा कर दिया है।
केस 2
6 वर्षीय बच्ची के साथ डिजिटल रेप
दूसरा मामला मुरादनगर थाना क्षेत्र के एक कॉलोनी का है, जहाँ महज 6 वर्ष की मासूम बच्ची को वहशी पड़ोसी ने अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। बच्ची के पिता ने बताया कि मंगलवार दोपहर बच्ची अपनी मां के कहने पर पड़ोस में रहने वाली एक परिचित महिला के घर गई थी। इसी दौरान आरोपी ने बच्ची को पकड़कर डिजिटल रेप किया। भयभीत बच्ची किसी तरह घर पहुंची और परिजनों को पूरी घटना की जानकारी दी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। इस घटना ने आम लोगों में दहशत के साथ-साथ भारी आक्रोश भी पैदा किया है।
केस 3:
12वीं की छात्रा का अपहरण
तीसरी घटना भोजपुर थाना क्षेत्र के अमरेला मोड़ की है, जहाँ 12वीं की छात्रा को स्कूल जाते समय एक युवक ने जबरन रोककर अपने साथ ले गया। परिजनों के अनुसार, 1 दिसंबर की सुबह छात्रा हमेशा की तरह मोदीनगर स्थित पब्लिक स्कूल के लिए निकली थी। जैसे ही वह अमरेला गेट पहुंची, आरोपी युवक ने उसे जबरन उठाकर ले गया।मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर विभिन्न टीमों को जांच में जुटा दिया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और गांव में तनावपूर्ण माहौल है।
महिला सुरक्षा पर उठ रहे गंभीर सवाल
इन तीनों घटनाओं ने न केवल पुलिस प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि यह सवाल भी पैदा किया है कि आखिर गाजियाबाद जैसे विकसित शहर में महिलाएं और बच्चियां कितनी सुरक्षित हैं?लगातार बढ़ते ऐसे अपराधों से महिलाओं का भय मुक्त होकर बाहर निकलना चुनौती बनता जा रहा है।स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस गश्त, सीसीटीवी निगरानी और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के बिना स्थितियाँ सुधरने वाली नहीं हैं। वहीं, सामाजिक स्तर पर भी बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए सामूहिक जागरूकता की आवश्यकता महसूस की जा रही है।गाजियाबाद में महिला सुरक्षा की ये स्थितियाँ साफ संकेत देती हैं कि अब केवल नारों से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी ढंग से प्रभावी कार्रवाई जरूरी है।
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