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मिलावटी प्रोटीन के खतरे
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
बॉडीबिल्डिंग का शौक एक अच्छी आदत है लेकिन इस मामले में आजकल के युवा जान जोखिम में भी डाल रहे हैं जिसको देखकर कहा जा सकता है कि इस पूरे मामले में जागरूकता ब्याज आवश्यक है ताकि युवा वर्ग को घातक बीमारियों और परेशानियों से बचाया जा सके।
प्रतिदिन 8 से 10 मामले
एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में रोजाना आठ से दस ऐसे युवा इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जो प्रोटीन के प्रयोग करने से बीमार हो रहे हैं। इन युवाओं के शरीर में सूजन, हृदयाघात, सुस्ती, सिरदर्द, खाना अच्छा नहीं लगना, अनिंद्रा, पेट और पेशाब में जलन होने की परेशानी हो रही है।
जानलेवा है मिलावटी प्रोटीन
एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा का कहना है कि मिलावटी प्रोटीन न सिर्फ लिवर और गुर्दे को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि हार्मोनल असंतुलन, दिल की बीमारियों और अन्य गंभीर समस्याओं को भी बढ़ा रहा हैं। डॉ. संतराम वर्मा ने बताया कि प्रोटीन पाउडर और सप्लीमेंट्स का प्रयोग छोड़ने के बाद भी एक से दो साल तक युवाओं को परेशानी हो रही है। इससे नपुंसकता का भी खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि एनर्जी बूस्ट करने नाम पर स्टेरॉयड और अन्य हानिकारक टेबलेट्स को सूखे दूध पाउडर में मिला रहे हैं। कार्ब्स के नाम पर ग्लूकोज पाउडर, ड्राई मिल्क पाउडर और एफडीसी (फिक्स डोज कॉम्बिनेशन) टेबलेट्स को पीसकर वजन बढ़ाने वाला बना रहे हैं। इसका सेवन करने से एकदम से चेहरा मोटा होने के साथ-साथ भूख ज्यादा लगनी शुरू हो जाती है।
त्वचा पर भी हो रहा दुष्प्रभाव
एमएमजी अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एके दीक्षित का कहना है कि ओपीडी में रोजाना पांच से सात ऐसे युवा त्वचा रोग का इलाज कराने के लिए आ रहे हैं, जो प्रोटीन सप्लीमेंट्स का प्रयोग कर रहे थे। खराब प्रोटीन पाउडर में मौजूद हानिकारक तत्व त्वचा पर दाने, खुजली और चेहरे पर मुंहासे का कारण बन रहे हैं। नकली प्रोटीन पाउडर में मेलामाइन, फॉर्मल्डिहाइड और बेंजीन जैसे केमिकल मिलाए जाते हैं, जो त्वचा के साथ-साथ अन्य अंगों पर भी असर डाल रहे हैं।
प्राकृतिक स्रोत के प्रोटीन करें प्रयोग
डाइटीशियन सविता का कहना है कि बच्चों और युवा वर्ग के संपूर्ण विकास के लिए प्रोटीन सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। यह मांसपेशियों, हड्डियों और दिमागी विकास के लिए आवश्यक होता है। इसकी जरूरत डेयरी उत्पाद दूध, दही, पनीर और छाछ से कर सकते हैं। इसके अलावा मूंग दाल, मसूर दाल, चना और सोयाबीन बेहतरीन प्रोटीन स्रोत हैं। बादाम, अखरोट, काजू और चिया सीड्स, हरी सब्जियां, अंडा, चिकन, मछली से प्रोटीन की जरूरत पूरी हो जाती है।
प्रोटीन की कमी से परेशानी
लगातार कमजोरी, थकान, बालों का झड़ना, प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना, पढ़ाई में ध्यान न लगना और मांसपेशियों का कमजोर होना जैसे लक्षण दिखें, तो यह संकेत हो सकता है कि उनके आहार में पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल रहा है।
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