Dead end: डेढ़ साल बाद एक लाख के ईनामी जितेंद्र का हुआ चेप्टर क्लोज, चुनावी रंजिश में सुपारी लेकर किया था कत्ल
गाजियाबाद पुलिस को ये अफसोस हमेशा रहेगा कि वो डेढ़ साल से फरार एक लाख के ईनामी जितेंद्र को ढेर नहीं कर पाई। मगर, जितेंद्र के सताए गाजियाबादी परिवार ने राहत की सांस ली है।
मेरठ में एसटीएफ के हाथों मारा गया जितेंद्र उर्फ जीतू यहां के ट्रांस हिंडन जोन के टीला मोड़ थाना क्षेत्र में चुनावी रंजिश को लेकर भाड़े पर हत्या करने की वारदात में शामिल था। पुलिस ने इस हत्याकांड के सारे आरोपी जेल भेज दिए थे। मगर जितेंद्र ही लोकल पुलिस को गच्चा दे रहा था। उसकी जिंदा या मुर्दा गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का ईनाम घोषित कर दिया गया। बावजूद इसके वो पुलिस की पकड़ से दूर रहा। हालाकि इस एंकाउंटर से 23 अक्टूबर 2023 को मारे गए प्रमोद के परिजन संतुष्ट हैं। मगर कमिश्नरेट पुलिस को मलाल है कि वो उनके हत्थे क्यों नहीं चढ़ा।
ये की थी वारदात
ट्रांस हिंडन जोन के टीला मोड थाना क्षेत्र में 23 अक्टूबर 2023 की रात गोलियों से भूनकर महमूदपुर गांव निवासी प्रमोद उर्फ लालू की हत्या कर दी गई थी। प्रमोद के भाई विनोद ने ग्राम प्रधान कपिल व उसके भाईयों जितेंद्र व सोनू पुत्र धर्मसिंह तथा सोनू, हरिओम, शीतल पुत्र धर्मपाल, धर्मपाल, धर्मवीर, आनंद व अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
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सब गिरफ्तार, सिर्फ जितेंद्र था फरार
लोकल पुलिस के मुताबिक अब तक इस मामले में नामजद आरोपियों के अलावा प्रकाश में आए प्रवीण, सचिन, सन्नी, सौरभ, निरंजन, अमूल व सुमित को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि हरियाणा निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू निवासी असौंदा जिला झज्जर हरियाणा फरार चल रहा था। उसकी तलाश के लिए हर संभव कोशिश की जा चुकी थी।
पिछले साल घोषित किया 1 लाख का ईनाम
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टीला मोड़ पुलिस लगातार जितेंद्र की तलाश में लगी हुई थी। पुलिस ने उस पर 14 जुलाई 2024 को एक लाख का ईनाम घोषित किया था। उसके घर की कुर्की भी की। बावजूद इसके वो हत्थे नहीं चला। जितेंद्र पर दिल्ली से पांच व हरियाणा से भी 20 हजार रुपये का ईनाम घोषित था।
मंगलवार देर रात हुआ जितेंद्र ढेर
मंगलवार देर रात मेरठ में एसटीएफ के हाथों मारे गए हरियाणा के बदमाश से बरामद मोटरसाइकिल, पिस्टल और उसका शव।
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मेरठ में एटीएफ द्वारा मंगलवार देर रात मुठभेड में जितेंद्र के मारे जाने पर प्रमोद के परिजनों ने संतोष जताया है। मृतक प्रमोद के छोटे भाई व केस के वादी विनोद ने बताया कि भले ही जितेंद्र को अंजाम तक पहुंचाने में लगभग डेढ साल का समय लगा, लेकिन सही एंकाउंटर हुआ है। जितेंद्र के मारे जाने से उन्हें काफी राहत मिली है। परिजनों ने कहा कि डेढ साल बाद इंसाफ हुआ है।
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