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गाजियाबाद जिला जेल
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
अब जेल से कैदियों की रिहाई और अदालत के आदेशों के लिए अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कागजी परवाने की जरूरत नहीं होगी। हाईटेक व्यवस्था के तहत रिहाई के आदेश सीधे ऑनलाइन जेल प्रशासन तक पहुंचेंगे। यह नई प्रणाली जेल प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाएगी। अदालत से रोजाना 15 से 20 रिहाई का आदेश जारी होता है। कई बार परवाना देर से पहुंचने पर उस दिन रिहाई रुक जाती थी।
अदालत से जेल डिजिटल परवाना
ऑनलाइन आदेश की सुविधा के अंतर्गत अब अदालत से जारी जमानत, सजा पूरी होने के बाद या बरी होने पर रिहाई के आदेश और अन्य कानूनी निर्देश सीधे जेल में डिजिटल माध्यम से पहुंचेंगे। इससे कागजी प्रक्रिया में लगने वाला समय बचेगा और जेल प्रशासन को आदेश के सत्यापन में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। जेल से बंदियों को सुबह छह से आठ बजे के बीच और शाम को छह बजे से पहले परवाना मिलने पर रिहाई की जाती है।
सभी को होगी सुविधा
जिला जेल प्रशासन के अनुसार, यह प्रणाली न्यायपालिका और जेल प्रशासन के बीच समन्वय को मजबूत करेगी। परंपरागत व्यवस्था में कैदियों की रिहाई के लिए कागजी परवाना जेल तक पहुंचने में विलंब होता था, जिससे कई बार कैदियों को अतिरिक्त समय जेल में गुजारना पड़ता था। अब यह समस्या नहीं रहेगी और आदेश मिलते ही तय समय सीमा में कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा।
रिहाई समय सीमा निर्धारित
रिहाई की प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित बनाने के लिए जेल प्रशासन ने तय किया है कि रिहाई केवल दो समय-सीमाओं के भीतर होगी। सुबह छह बजे से आठ बजे के बीच और शाम छह बजे से पहले रिहाई सुनिश्चित की जाएगी। इससे आधी रात या अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के समय कैदियों की रिहाई की संभावना समाप्त हो जाएगी।
बढ़ेगी परिदृश्यता
इस व्यवस्था के लागू होने से न्यायिक प्रक्रिया में गति आएगी और जेलों में भीड़भाड़ कम करने में सहायता मिलेगी। डिजिटल व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या देरी की संभावना कम होगी। अधिकारियों का मानना है कि इससे न्यायिक प्रक्रिया में सुधार होगा और कैदियों को उनके अधिकारों के तहत समय पर न्याय मिल सकेगा।
अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा का कहना है कि इस नई प्रणाली के तहत सभी अदालतों को विशेष पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जहां से आदेश सीधे जेल में भेजे जाएंगे। इसके लिए अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जेल प्रशासन के अनुसार, यह व्यवस्था लागू होने के बाद अन्य जिलों में भी इसे अपनाने पर विचार किया जाएगा। इससे पूरे प्रदेश में न्यायिक आदेशों की त्वरित पालना सुनिश्चित होगी।
तय समय में रिहाई होगी संभव
बार के पूर्व सचिव परविंदर नागर का कहना है कि जमानत मिलने के बावजूद कैदियों की रिहाई में होने वाली देरी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। कई बार सप्ताहांत या छुट्टियों के चलते रिहाई में अनावश्यक विलंब हो जाता था, जिससे कैदियों को अतिरिक्त दिन जेल में बिताने पड़ते थे। अब इस नई प्रणाली से ऐसी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और तय समय में रिहाई संभव होगी। न्यायपालिका और जेल प्रशासन दोनों ही इस कदम को ऐतिहासिक मान रहे हैं। यह डिजिटल परिवर्तन कानून व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने और कैदियों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।