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एमएमजी जिला अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर वाहन खड़ा करने को लेकर अस्पताल के गार्ड और वहां पहुंचे पुलिसकर्मी में कहासुनी हो गई। कहासुनी इतनी बड़ी की नौबत इमरजेंसी स्टाफ के मामले में हस्तक्षेप करने पर पुलिसकर्मियों के भिड़ने तक पहुंच गई। इससे नाराज स्टाफ और गार्ड इमरजेंसी के बाहर ही धरने पर बैठ गए।
ये था मामला
सुबह करीब आठ बजे दो पुलिसकर्मी पुलिस लाइन से किसी मरीज को लेकर जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे थे। पुलिसकर्मी जिस वाहन में मरीज को लेकर आए उसे इमरजेंसी के गेट के बाहर लगा दिया। इस पर डयूटी पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड नरेन्द्र सिंह ने सिपाही से इमरजेंसी गेट के सामने से गाड़ी हटाने को कहा, ताकि अन्य मरीजों को अन्दर आने में दिक्कतें न हों। आरोप है कि इसी बात पर सिपाही भडक़ उठा और गार्ड से अभ्रद भाषा में बात करने लगा। आरोप ये भी है कि सिपाही बदसलूकी की और गार्ड की वर्दी तक फाड़ दी। हंगामा होता देख डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी अन्य कर्मचारी भी पहुंच गए। गार्ड के साथ हुई घटना से आक्रोशित अस्पताल के स्टाफ, सिक्योरिटी गार्ड इमरजेंसी गेट पर ही धरने पर बैठ गए और मामले में कार्रवाई की मांग करने लगे।
ऐसे हुआ बीच-बचाव
हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंचे अस्पताल सीएमएस डॉ राकेश सिंह और कोतवाली सिटी के प्रभारी निरीक्षक मौके पर पहुंचे और धरने पर बैठे स्टाफ, गार्डों को समझाया।लेकिन कर्मचारी बिना मांग पूरी हुए हटने को तैयार नहीं हुए।
पुलिस स्टाफ बोला सॉरी
प्रदर्शन के चलते अस्पताल के अन्य विभाग में भी कामकाज बाधित हो गया। हालांकि बाद में स्थानीय चौकी इंचार्ज द्वारा पुलिसकर्मियों की तरफ से माफी मांगते हुए समझा-बुझाकर आगे से किसी पुलिसकर्मियों द्वारा बदसलूकी नहीं किए जाने का आश्वासन देने पर इमरजेंसी व वार्ड स्टाफ माना।
तीन घंटे नहीं हो पाया काम
हंगामे के चलते करीब तीन घंटे तक अस्पताल में कार्य प्रभावित रहा। अस्पताल सीएमएस डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि इमरजेंसी गेट के बाहर वाहन खड़ा करने को लेकर सिक्योरिटी गार्ड व पुलिसकर्मी में विवाद हो गया था, लेकिन, बाद में समझा-बुझाकर विवाद समाप्त करा दिया गया। हालाकि उन्होंने दावा किया कि इस दौरान अस्पताल में किसी भी तरह से स्वास्थ्य सेवाएं बाधित नहीं हुई।