गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिलाधिकारी दीपक मीणा द्वारा प्रतिदिन की तरह जनसुनवाई का आयोजन किया गया। यह जनसुनवाई शासन और जनता के बीच सीधे संवाद की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से आम नागरिक अपनी समस्याओं, शिकायतों और सुझावों को सीधे जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। इस अवसर पर नागरिकों द्वारा प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, जीडीए (गाजियाबाद विकास प्राधिकरण) एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं से संबंधित समस्याओं को जिलाधिकारी के समक्ष रखा गया।
निस्तारण शीघ्र आवश्यक
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने प्रत्येक शिकायत को गंभीरतापूर्वक सुना एवं संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध और प्रभावी निस्तारण के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केवल शिकायतों का निस्तारण पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनका स्थायी, पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण समाधान ही प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि शिकायतों के निस्तारण में टालमटोल की प्रवृत्ति को समाप्त कर संवेदनशीलता एवं उत्तरदायित्व की भावना से कार्य किया जाना चाहिए। इस जनसुनवाई में एडीएम सौरभ भट्ट, सिटी मजिस्ट्रेट डॉ. संतोष कुमार उपाध्याय एवं आईएएस प्रशिक्षु अयान जैन की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गंभीरता और महत्व को और अधिक बल दिया। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी से न केवल शिकायतों के त्वरित निपटारे की प्रक्रिया को मजबूती मिली, बल्कि इससे यह भी संदेश गया कि प्रशासन नागरिकों की समस्याओं के प्रति सजग और संवेदनशील है।
और बेहतर होना चाहिए छवि
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जनता की समस्याओं को सिर्फ औपचारिकता न मानें, बल्कि उन्हें पूरी संवेदनशीलता से लें और उनका स्थायी समाधान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि शासन की जनोन्मुखी छवि तभी बनती है जब अधिकारी अपने कर्तव्यों को उत्तरदायित्व और ईमानदारी से निभाएं। जनसुनवाई जैसी व्यवस्था न केवल जनता को अपनी बात कहने का मंच देती है, बल्कि यह प्रशासन के लिए भी एक अवसर होती है कि वह जमीनी स्तर पर व्याप्त समस्याओं को समझे और उनके समाधान की दिशा में सक्रिय कदम उठाए। ऐसी पहलें शासन को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और जनहितैषी बनाती हैं।
लोगों को राहत
यह कहा जा सकता है कि जनसुनवाई जैसी प्रक्रियाएं लोकतंत्र को सशक्त बनाने की आधारशिला हैं। जिलाधिकारी श्री दीपक मीणा द्वारा की गई यह पहल नागरिकों में विश्वास पैदा करती है कि उनकी आवाज को सुना जा रहा है और उस पर ठोस कार्यवाही की जा रही है। ऐसी सकारात्मक व्यवस्थाएं शासन और जनता के बीच मजबूत सेतु का कार्य करती हैं।