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Dog bite : घरेलू सहायिका को लिफ्ट में कुत्ते ने काटा, मचा हड़कंप

एनसीआर का हिस्सा गाजियाबाद इन दिनों एक बड़ी बहस का केंद्र बन गया है। शहर की गलियों और सोसायटियों में घूम रहे आवारा कुत्तों को लेकर जहाँ आम नागरिक लगातार भय और असुरक्षा महसूस कर रहे हैं, वहीं डॉग लवर्स का विरोध भी थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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Syed Ali Mehndi
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लिफ्ट और हमलावर कुत्ता

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

एनसीआर का हिस्सा गाजियाबाद इन दिनों एक बड़ी बहस का केंद्र बन गया है। शहर की गलियों और सोसायटियों में घूम रहे आवारा कुत्तों को लेकर जहाँ आम नागरिक लगातार भय और असुरक्षा महसूस कर रहे हैं, वहीं डॉग लवर्स का विरोध भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। मामला इंदिरापुरम की आम्रपाली विलेज सोसायटी का है, जहाँ एक दर्दनाक घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया।

लिफ्ट की घटना

सूत्रों के अनुसार, सोसायटी में रहने वाला एक युवक अपने पालतू कुत्ते को लिफ्ट में लेकर जा रहा था। इसी दौरान लिफ्ट में मौजूद एक मेड पर अचानक कुत्ते ने हमला कर दिया। महिला गंभीर रूप से घायल हो गई और उसे तुरंत इलाज के लिए ले जाना पड़ा। घटना पूरी तरह सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। हैरानी की बात यह रही कि कुत्ते के मालिक ने न तो कोई अफसोस जताया और न ही महिला की मदद की, बल्कि ऐसे बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही न हो। इस रवैये से सोसायटी के लोग बेहद आक्रोशित हैं।

कई बार हुआ है हमला

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब कुत्तों ने किसी पर हमला किया हो। आए दिन शहर के अलग-अलग हिस्सों से कुत्तों के काटने और हमला करने की घटनाएँ सामने आ रही हैं। कई मामलों में बच्चे और बुजुर्ग तक इन हमलों के शिकार बन चुके हैं। लोगों का स्पष्ट कहना है कि यदि कुत्तों को सड़कों और सार्वजनिक जगहों से हटाकर सुरक्षित शेल्टर होम्स में नहीं रखा गया तो यह खतरा और बढ़ सकता है।

डॉग लवर का विरोध

वहीं दूसरी ओर, डॉग लवर्स लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि कुत्तों को सड़कों से हटाना और शेल्टर में रखना अमानवीय है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब रोजाना किसी न किसी इंसान को चोटिल होना पड़ रहा है, तो क्या इंसानों की जान से बढ़कर कुत्तों का अधिकार है? लोगों का मानना है कि जानवरों के प्रति संवेदनशील होना ज़रूरी है, लेकिन यह संवेदनशीलता इंसानों की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती।

संतुलित कदम जरूरी

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विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम और प्रशासन को इस मामले में संतुलित कदम उठाने की ज़रूरत है। पहला, आवारा कुत्तों का बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाना चाहिए ताकि उनकी संख्या अनियंत्रित न हो। दूसरा, उन्हें सुरक्षित शेल्टर होम्स में शिफ्ट किया जाना चाहिए जहाँ उनकी देखभाल हो सके। तीसरा, पालतू कुत्तों के मालिकों पर सख्त नियम लागू होने चाहिए। यदि उनका कुत्ता किसी पर हमला करता है तो मालिक को भी जिम्मेदार ठहराकर कार्रवाई करनी चाहिए।

सोशल मीडिया पर गुस्सा

इस घटना के बाद गाजियाबादवासियों का गुस्सा और बढ़ गया है। लोग कह रहे हैं कि प्रशासन को अब कड़ा रुख अपनाना ही होगा। यदि डॉग लवर्स इंसानों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ कुत्तों की पैरवी करेंगे तो यह समाज में टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है। निस्संदेह, इंसान और जानवर दोनों ही इस धरती पर जीने का अधिकार रखते हैं। लेकिन जब बात सुरक्षा और जीवन की हो, तो इंसानों की प्राथमिकता सर्वोपरि होनी चाहिए। गाजियाबाद की यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है जब आवारा और पालतू कुत्तों से जुड़े नियमों को और कठोर बनाया जाए, ताकि भविष्य में किसी की जान इन घटनाओं की भेंट न चढ़े।

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