गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के मुरादनगर थाना क्षेत्र में हाल ही में हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। मोंटी नामक युवक, जो वर्ष 2015 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में जेल गया था, ने जमानत पर रिहा होने के बाद एक युवक की सरेआम हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि जेल से छूटने के बाद मोंटी चौधरी बड़ा बदमाश बनना चाहता था उसने क्षेत्र में लोगों से यह भी कहा था कि उसे राहुल खट्टा जैसा बदमाश बना है
आवारा प्रवृत्ति, आक्रामक स्वभाव
जानकारी के अनुसार, मोंटी एक साल पहले ही जेल से छूटा था। बाहर आने के बाद उसने अपनी पुश्तैनी संपत्ति, जिसकी कीमत करीब दो करोड़ रुपये बताई जा रही है, बेच दी। मोंटी ने अपने जानने वालों से यह कहा कि वह "दुष्कर्म का कलंक" अपने नाम से हटाना चाहता है और "बड़ा अपराधी" बनना चाहता है, ताकि समाज उसे एक अपराधी के रूप में पहचाने, न कि बलात्कारी के रूप में। इसी मानसिकता के चलते, मोंटी ने थाने के सामने ही मामूली विवाद में रवि शर्मा नामक युवक को गोली मार दी। यह घटना तब और भी गंभीर बन गई जब हत्या ठीक थाना गेट के पास हुई, जिससे पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए।
दुष्कर्म का कलंक
इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मोंटी को गिरफ्तार कर लिया है, और जांच जारी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या समाज और प्रशासन ऐसे अपराधियों के पुनर्वास में पूरी तरह विफल हो चुके हैं?मोंटी का यह कथन कि वह "बलात्कारी नहीं, अपराधी कहलाना चाहता है", समाज के उस विडंबनात्मक सोच को दर्शाता है जिसमें अपराध की गंभीरता को लेकर एक अजीब किस्म की श्रेणियां बना दी गई हैं। यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए, बल्कि सामाजिक चेतना के लिए भी एक चिंता का विषय है।साथ ही यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे कुछ व्यक्ति, कानूनी सजा के बावजूद, न तो पश्चाताप करते हैं और न ही समाज में फिर से सम्मिलित होने की कोशिश करते हैं, बल्कि और अधिक घातक रूप में उभरते हैं।